छत्तीसगढ़

चंद्रयान-3 मिशन के लिए आज बड़ा दिन, चांद पर 14 दिन की रात होनी वाली है खत्म, क्या जागने वाले हैं लैंडर और रोवर?

नईदिल्ली : चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर स्लीप मोड से बाहर आने वाले हैं. 16 दिनों तक स्लीप मोड में रहने के बाद लैंडर और रोवर को शुक्रवार (22 सितंबर) को इसरो की ओर से सक्रिय किया जाएगा.

इसरो (एसएसी) के निदेशक नीलेश देसाई ने कहा कि हम 22 सितंबर को लैंडर और रोवर दोनों को एक्टिव करने की कोशिश करेंगे और अगर हमारी किस्मत अच्छी रही को ऐसा हो जाएगा. हमें कुछ और प्रायोगिक डेटा मिलेंगे जो चंद्रमा की सतह की और जांच करने में उपयोगी होंगे. 

केन्द्रीय मंत्री ने लोकसभा में दी जानकारी

चंद्रयान-3 मिशन को लेकर केन्द्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को लोकसभा में कहा कि देश को अब कुछ ही घंटों में प्रज्ञान और विक्रम के नींद से जागने का इंतजार है, ऐसा होते ही यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन जाएगा. 

“हमें बेसब्री से सूर्योदय होने का इंतजार”

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि चन्द्रमा पर 14 दिन की रात समाप्त होने वाली है और हमें बेसब्री से वहां सूर्योदय होने और उसके साथ ही विक्रम और प्रज्ञान के सक्रिय होने का इंतजार है. लैंडर और रोवर दोनों को इस महीने की शुरुआत में क्रमश: 4 और 2 सितंबर को स्लीप मोड में डाल दिया गया था. 

सूरज की रोशनी से सौर पैनल चार्ज होने की उम्मीद

चांद के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र, जहां लैंडर और रोवर दोनों स्थित हैं, पर सूर्य की रोशनी वापस आने और उनके सौर पैनलों के जल्द ही चार्ज होने की उम्मीद है. इसरो अब उनके साथ फिर से संपर्क स्थापित करने और उनके स्वास्थ्य की जांच करने के लिए तैयार है.  

नीलेश देसाई ने बताया कि हमने लैंडर और रोवर दोनों को स्लीप मोड पर डाल दिया था क्योंकि तापमान शून्य से 120-200 डिग्री सेल्सियस तक नीचे जाने की उम्मीद थी. चांद पर सूर्योदय होने के साथ हमें उम्मीद है कि 22 सितंबर तक सौर पैनल और अन्य चीजें पूरी तरह से चार्ज हो जाएंगी. इसलिए हम लैंडर और रोवर दोनों को एक्टिव करने की कोशिश करेंगे.

23 अगस्त को की थी चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग

भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने 23 अगस्त की शाम को चांद के साउथ पोल पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग की थी. इसी के साथ चांद इस हिस्से पर पहुंचने वाला भारत पहला देश बना. चांद पर उतरने के बाद, लैंडर और रोवर और यान पर मौजूद अन्य पेलोड ने काफी अहम डेटा भेजा. लैंडर और रोवर को एक चंद्र दिन की अवधि (लगभग 14 दिन) तक संचालित करने के लिए डिजाइन किया गया था.