जेनेवा। स्विटजरलैंड से पीएचडी कर रही सफाई कर्मचारी की बेटी रोहिणी घावरी ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग को भारतीय संविधान के बारे में जानकारी दी। छात्रा ने बताया कि संविधान सभी नागरिकों की समान रक्षा करता है। भारत का संविधान दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की आत्मा है। वह संयुक्त राष्ट्र के मानव अधिकार आयोग के 54वें सत्र को संबोधित कर रही थी।
चंद्रयान-3 ने भारतीय महिलाओं की क्षमताओं को किया प्रदर्शित
रोहिणी ने कहा कि भारतीय संविधान के जनक डा. बीआर आंबेडकर ने संविधान में जाति-धर्म की परवाह किए बिना कानून के समक्ष सभी नागरिकों को मौलिक अधिकारो और समान सुरक्षा की गारंटी देना सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
खुद को आंबेडकरवादी कहने वाली रोहिणी ने कहा कि हम भारतीय महिलाएं संविधान के तहत अधिकार देने के लिए डा. आंबेडकर की आभारी हैं। यहां तक कि इसरों के चंद्रयान-3 की सफलता ने भारतीय महिला विज्ञानियों की क्षमताओं को प्रदर्शित किया।
हम संविधान की पूजा करते हैं: रोहिणी
भारत सरकार की राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति योजना से लाभान्वित घावरी ने कहा कि एक दलित लड़की होने के नाते मैं कहना चाहूंगी कि बिना संविधान हमारे जीवन में बदलाव असंभव था। हम दलित संविधान की पूजा करते हैं।
इस चमत्कारिक किताब ने हमें छुआछूत की बेडियों से मुक्त कराया और समान जीवन जीने का अधिकार दिया। आइए हम भारतीय संविधान से प्रेरणा लें और जिम्मेदार विश्व नागरिक के रूप में समतामूलक, समावेशी और न्यायसंगत समाज के निर्माण के लिए मिलकर काम करें।