नईदिल्ली : 2000 रुपये के नोट का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. सिर्फ 5 दिन बचे हैं. मार्केट में लोगों के पास अभी 2000 रुपये के नोट हैं, जिनकी वैल्यू 3 अरब डॉलर यानी 25 हजार करोड़ रुपये है. सवाल ये है कि अगर ये रुपया बैंकों में जमा नहीं हुआ तो 3 बिलियन डॉलर यानी 25 हजार करोड़ रुपये के 2000 के नोट बेकार हो जाएंगे? भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने 19 मई को 2,000 रुपये के नोट को वापस लेने का आदेश दिया था. आरबीआई ने कहा था कि देश की जनता जिनके पास भी 2000 रुपये के नोट हैं, वो 30 सितंबर तक बैंकों में डिपॉजिट करा दें या फिर बैंकों में जाकर बदल लें.
क्यों लिया 2000 रुपये के नोटों को वापस लेने का फैसला
आरबीआई ने तब कहा था कि नवंबर 2016 में 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों का लीगल टेंडर खत्म करने के बाद करेंसी की जरुरत को पूरा करने के लिए 2000 रुपये का नोट जारी किया था. केंद्रीय बैंक ने कहा कि दूसरे मूल्यवर्ग के नोटों का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध होने के बाद, 2018-19 में 2,000 रुपये के नोटों की छपाई बंद कर दी थी. आरबीआई के अनुसार ट्रांजेक्शन के लिए 2,000 रुपये के नोटों का व्यापक रूप से उपयोग नहीं हो रहा है, जिसके के बाद केंद्रीय बैंक ने नोटों को वापस लेने का फैसला किया.
अभी भी जमा होने हैं 2000 रुपये के नोट
31 मार्च तक 2000 रुपये के 3.62 लाख करोड़ रुपये प्रचलन में थे, 19 मई को यह आंकड़ा गिरकर 3.56 लाख करोड़ रुपये हो गया था. 31 अगस्त तक, 2,000 रुपये के लगभग 93 फीसदी या लगभग 3.56 ट्रिलियन रुपये के नोट, जो 19 मई को प्रचलन में थे – जिस दिन मुद्रा को प्रचलन से वापस ले लिया गया था – बैंकों में वापस आ गए. इसका मतलब यह है कि 1 सितंबर तक वापस लिए गए नोटों में से लगभग 7 फीसदी, लगभग 3 बिलियन डॉलर, अभी भी जनता के पास हैं. आरबीआई ने पहले कहा था कि नोट 30 सितंबर के बाद भी लीगल करेंसी बनी रहेगी. लेकिन उन्हें ट्रांजेक्शन के उद्देश्य से स्वीकार नहीं किया जाएगा और केवल आरबीआई में ही बदला जा सकता है.