नई दिल्ली। वर्ष 2002 के गुजरात दंगों से जुड़ी डॉक्युमेंट्री से देश की प्रतिष्ठा धूमिल होने और अपमानजनक आरोप लगाकर क्षतिपूर्ति की मांग को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को ब्रिटिश ब्राडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (बीबीसी) को ताजा नोटिस जारी किया है।
गुजरात स्थित गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) जस्टिस आन ट्रायल द्वारा दायर याचिका पर न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने बीबीसी (भारत) को भी नया नोटिस जारी करते हुए सुनवाई 15 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी। याचिका में कहा गया कि उक्त डॉक्युमेंट्री प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय न्यायपालिका पर झूठे और अपमानजनक आरोप लगाती है।
जनवरी में जारी हुए थे दो एपिसोड
पीठ ने ताजा नोटिस तब जारी किया, जब याचिकाकर्ता एनजीओ के वकील ने अदालत को सूचित किया कि बीबीसी (यूके) और बीबीसी (भारत) को पहले नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन उन्हें तामील नहीं किया जा सका। याचिका में कहा गया था कि बीबीसी (यूके) ने डॉक्युमेंट्री “इंडिया: द मोदी क्वेश्चन जारी किया था और दो एपिसोड जनवरी 2023 में प्रकाशित हुए थे।
भारत सरकार की प्रतिष्ठा को पहुंची चोट
याचिका में कहा गया कि इस डॉक्युमेंट्री से प्रधानमंत्री, भारत सरकार, राज्य सरकार की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई गई है। ऐसे में प्रतिवादियों को क्षतिपूर्ति के रूप में दस हजार करोड़ रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया जाए। यह डॉक्युमेंट्री वर्ष 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित है, जब नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे।