छत्तीसगढ़

मैं ऐसी फिल्में देखने कभी नहीं जाऊंगा, नसीरुद्दीन ने आरआरआर और पुष्पा की सफलता पर उठाए सवाल

नईदिल्ली : हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह अक्सर अपने किसी न किसी बयान को लेकर चर्चा में बने रहते हैं। अक्सर वह फिल्मों के बारे में अपने विचार साझा करते हैं। अब उन्होंने साउथ के फिल्म निर्देशक एसएस राजामौली की फिल्म ‘पुष्पा’ और ‘आरआरआर’ के बारे में अपनी राय सामने रखी है। नसीरुद्दीन ने खुलासा किया कि उन्होंने एसएस राजामौली की ‘आरआरआर’ और अल्लू अर्जुन स्टारर ‘पुष्पा’ देखने की कोशिश की, लेकिन नहीं देख सके।

अपने हालिया साक्षात्कार में नसीरुद्दीन ने मणिरत्नम की प्रशंसा की और कहा कि वह एक सक्षम फिल्म निर्माता हैं। नसीरुद्दीन शाह ने कहा, ”रामप्रसाद की तेरहवीं, गुलमोहर जैसी छोटी फिल्मों को उनकी सही जगह मिलेगी, मुझे पूरा यकीन है, क्योंकि मुझे युवा पीढ़ी पर बहुत भरोसा है। वे कहीं अधिक विकसित हैं, कहीं अधिक जानकार हैं। रोमांच के अलावा मैं कल्पना नहीं कर सकता कि आपको क्या मिलेगा।”

नसीरुद्दीन ने राजामौली की फिल्म के बारे में बात करते हुए कहा, ”मैंने ‘आरआरआर’ देखने की कोशिश की, लेकिन नहीं देख सका। मैंने ‘पुष्पा’ देखने की कोशिश की, लेकिन नहीं देख सका। हालांकि, मैंने मणिरत्नम की फिल्म देखी, क्योंकि वह बहुत सक्षम फिल्म निर्माता हैं और उनका कोई एजेंडा नहीं है। मैं रोमांच के अलावा या आपके अंदर छिपी भावनाओं को बढ़ावा देने के अलावा कुछ भी कल्पना नहीं कर सकता। देखने के बाद अक्सर एक खुशी का एहसास होता है, जो कई दिनों तक बना रहता है। मैं सोच भी नहीं सकता, मैं कभी ऐसी फिल्में देखने नहीं जाऊंगा।”

इससे पहले हाल ही में दिए एक साक्षात्कार के दौरान नसीरुद्दीन शाह ने कहा था कि यह परेशान करने वाली बात है कि ‘कश्मीर फाइल्स’ जैसी फिल्में इतनी लोकप्रिय हैं। उन्होंने कहा था कि अब आप जितने अधिक अंधराष्ट्रवादी होंगे, आप उतने ही अधिक लोकप्रिय होंगे, क्योंकि यही इस देश पर शासन कर रहा है। अपने देश से प्यार करना ही काफी नहीं है, बल्कि इसके बारे में ढोल पीटना और काल्पनिक दुश्मन पैदा करना भी काफी नहीं है। इन लोगों को यह एहसास नहीं है कि वे जो कर रहे हैं वह बहुत हानिकारक है।

अभिनेता ने आगे कहा था, “वास्तव में मैंने ‘द केरल स्टोरी’ और ‘गदर 2’ जैसी फिल्में मैंने नहीं देखी है, लेकिन मुझे पता है कि वे किस बारे में हैं। यह परेशान करने वाली बात है कि ‘कश्मीर फाइल्स’ जैसी फिल्में इतनी व्यापक रूप से लोकप्रिय हैं, जबकि सुधीर मिश्रा, अनुभव सिन्हा और हंसल मेहता, जो अपने समय की सच्चाई को चित्रित करने की कोशिश कर रहे हैं, उनकी फिल्में नजर नहीं आतीं, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि ये फिल्म निर्माता हिम्मत न हारें और कहानियां सुनाना जारी रखें।”