छत्तीसगढ़

ब्लड चढ़ाने से HIV पॉजिटिव हुआ एयर फोर्स का अधिकारी, सुप्रीम कोर्ट ने आर्मी-एयर फोर्स पर लगाया 1.54 करोड़ का जुर्माना

नईदिल्ली : आर्मी हॉस्पिटल में चिकित्सकीय लापरवाही की वजह से एचआईवी पॉजिटिव हुए एयरफोर्स के पूर्व अधिकारी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना दोनों को उस पूर्व वायु सेना अधिकारी को मुआवजे के रूप में 1.54 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया. साल 2002 में आर्मी अस्पताल में ब्लड ट्रांसफ्यूजन (ब्लड चढ़ाने के बाद) के दौरान इस अधिकारी को एचआईवी/एड्स हो गया था.

न्यायमूर्ति रवींद्र भट और दीपांकर दत्ता की पीठ ने माना कि सेना और वायु सेना की चिकित्सकीय लापरवाही के कारण पूर्व अधिकारी ब्लड ट्रांसफ्यूजन के दौरान एचआईवी/एड्स की चपेट में आए थे. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों के सिलसिले में सरकार, अदालतों, ट्रिब्युनल्स, कमिशंस और क्वैसी ज्यूडिशल बॉडी के लिए एचआईवी अधिनियम, 2017 के तहत कुछ दिशानिर्देश भी जारी किए.

क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, “अपीलकर्ता उत्तरदाताओं की चिकित्सीय लापरवाही के कारण 1 करोड़ 54 लाख 73 हजार रुपये के मुआवजे का हकदार है. चूंकि पर्सनली किसी को इसके लिए जिम्मेवार नहीं ठहरा सकते, इसलिए भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना को इस लापरवाही के लिए संयुक्त रूप से से उत्तरदायी ठहराया गया है. यह राशि भारतीय वायुसेना द्वारा 6 सप्ताह के भीतर भुगतान की जाएगी. भारतीय वायुसेना, सेना से आधी राशि मांगने के लिए स्वतंत्र है. इस रोग से पीड़ित हुए अधिकारी की सभी बकाया राशि का 6 सप्ताह के भीतर भुगतान कर दिया जाए.”

ऑपरेशन पराक्रम का हिस्सा रहे हैं अधिकारी
ख़बर के मुताबिक़, जिस पूर्व एयर फोर्स अधिकारी की चिकित्सा में लापरवाही हुई है, वह जम्मू-कश्मीर में ‘ऑपरेशन पराक्रम’ का हिस्सा रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि 2002 में एक फील्ड अस्पताल में दूषित रक्त चढ़ाने के कारण उन्हें एचआईवी हो गया था और अब वह एड्स के मरीज बन गए हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें सेना के अस्पतालों में चिकित्सा देखभाल से वंचित किया जा रहा है. भारत ने 13 दिसंबर, 2001 को संसद पर हुए आतंकवादी हमले के मद्देनजर ‘ऑपरेशन पराक्रम’ शुरू किया था.

कब पता चला
पीड़ित पूर्व वायुसेना अधिकारी ने बताया कि ऑपरेशन के तहत ड्यूटी के दौरान वह बीमार पड़ गए और उन्हें जुलाई 2002 में सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहां इलाज के दौरान उनके शरीर में एक यूनिट रक्त चढ़ाया गया. 2014 में वह बीमार पड़ गए और जांच में एचआईवी का पता चला. एक मेडिकल बोर्ड ने माना था कि उनके शरीर में एचआईवी संक्रमण 2022 में एक यूनिट रक्त के ट्रांसफ्यूजन के कारण हुआ है.