नईदिल्ली : विधि आयोग ने 16 से 18 वर्ष की उम्र के बच्चों की मौन स्वीकृति से जुड़े पॉक्सो मामलों में सजा को लेकर निर्देशित न्यायिक विवेक को लागू करने का सुझाव दिया है। इसने पॉक्सो अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता पर भी जोर दिया है। इसके अलावा, आयोग ने सरकार को यह भी सुझाव दिया है कि सहमति से संबंध बनाने की उम्र कम करने से बाल विवाह और बाल तस्करी के खिलाफ लड़ाई पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
विधि आयोग ने चरणबद्ध तरीके से ई-एफआआईआर का पंजीकरण शुरू करने की सिफारिश की है, जिसकी शुरुआत तीन साल की जेल की सजा वाले आपराधों से होगी। इस सप्ताह की शुरुआत में सरकार को सौंपी गई और शुक्रवार को सार्वजनिक की गई एक रिपोर्ट में विधि आयोग ने ई-एफआईआर दर्ज करने की सुविधा के लिए एक केंद्रीकृत राष्ट्रीय पोर्टल स्थापित करने का प्रस्ताव दिया। इसमें कहा गया है कि ई-एफआईआर प्राथमिकी दर्ज करने में देरी के लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे से निपटेगी और नागरिकों को वास्तविक समय (रियल टाइम) में अपराधों की रिपोर्ट करने की अनुमति देगी।
विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी ने कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को लिखे पत्र में कहा, ‘प्रौद्योगिकी के आगे बढ़ने के कारण संचार के साधन कई गुना आगे बढ़े हैं। ऐसे में, एफआईआर दर्ज करने की पुरानी प्रणाली से चिपके रहना आपराधिक सुधारों के लिए अच्छा नहीं है।’
वहीं, सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि विधि आयोग सभी विधानसभा चुनावों का कार्यकाल बढ़ाकर या घटाकर उन्हें समन्वित करने के फार्मूले पर काम कर रहा है, ताकि सभी राज्यों के चुनाव 2029 के लोकसभा चुनाव के साथ कराए जा सकें। सरकार पहले ही राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर चुकी है। ऐसे में विधि आयोग से राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय चुनावों के लिए अपने मौजूदा जनादेश के साथ-साथ त्रिस्तरीय चुनावों को भी शामिल करने के लिए कहा जा सकता है।
सूत्रों ने यह भी कहा कि विधि आयोग लोकसभा, विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए साझा मतदाता सूची सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र तैयार कर रहा है, ताकि लागत और मानव शक्ति के इस्तेमाल को कम किया जा सके। उन्होंने बताया कि एक साथ चुनाव कराने पर विधि आयोग की रिपोर्ट तैयार नहीं है, क्योंकि कुछ मुद्दों का निपटारा होना बाकी है।
2029 से राज्य और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए विभिन्न विधानसभा चुनावों को समन्वित करने के लिए न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी के नेतृत्व वाला आयोग विधानसभाओं के कार्यकाल को कम करने या बढ़ाने का सुझाव दे सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र तैयार किया जा रहा है कि एक बार लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने के बाद मतदाता दोनों चुनावों के लिए अपना वोट डालने के लिए केवल एक बार मतदान केंद्र पर जाएं।
उन्होंने कहा कि विधानसभा और संसदीय चुनाव चरणों में होते हैं, इसलिए आयोग यह सुनिश्चित करने के लिए तौर-तरीकों पर काम कर रहा है कि मतदाता दोनों चुनावों के लिए मतदान करने के लिए एक से अधिक बार मतदान केंद्रों पर न जाएं। सूत्रों ने कहा कि आयोग का मानना है कि विधानसभा और संसदीय चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं और वह इस विशाल लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सुचारू संचालन के लिए केवल तौर-तरीकों पर काम कर रहा है।
फिलहाल आयोग का काम विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने के तरीके सुझाना है। लेकिन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति को यह सिफारिश करने का काम सौंपा गया है कि लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव (पंचायत, नगर पालिका, जिला परिषद) एक साथ कैसे कराए जा सकते हैं।