नईदिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज मंगलवार (3 अक्टूबर) को राम सेतु केस से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट का कहना है कि यह एक प्रशासनिक विषय है, जिस पर कोर्ट सुनवाई नहीं करेगा. मामले से जुड़ी याचिका में कहा गया है कि समुद्र का पानी ऊपर आ जाने के चलते राम सेतु के दर्शन में कठिनाई होती है. अगर दोनों तरफ कुछ दूरी तक एक दीवार बना दी जाए, तो रामसेतु आसानी से दिखाई पड़ेगा.
यह याचिका हिंदू पर्सनल लॉ बॉर्ड के अध्यक्ष अशोक पांडे ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी. याचिका में ये भी कहा गया है कि दीवार बन जाने के बाद दुनिया भर के लोग पुल के दर्शन के लिए धनुषकोटि जा सकेंगे. वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि कोर्ट दीवार बनाने का निर्देश कैसे दे सकता है. इसके साथ ही कोर्ट ने एक अन्य याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि राम सेतु को एक नेशनल हैरिटेज घोषित कर दिया जाए.
मालूम हो कि रामसेतु को एडम ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है. यह तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट पर पंबन द्वीप और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप को जोड़ने वाला चूना पत्थर से बना एक सेतु है. याचिका में उक्त स्थान पर एक दीवार के निर्माण का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था. याचिका न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई थी. यह याचिका हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने अध्यक्ष अशोक पांडे के माध्यम से दायर की थी.