नई दिल्ली : सरोगेसी के माध्यम से बच्चा पैदा करने के लिए अपनी अलग रह रही पत्नी से अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगने की 54 वर्षीय एक व्यक्ति की याचिका दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत व नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि विवाह समाप्त नहीं होने के कारण सरोगेसी के माध्यम से बच्चा पैदा करने की पति की इच्छा से दंपति व बच्चे के लिए अनुचित जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।
अदालत ने कहा कि सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम- 2021 के प्रविधान के तहत बच्चे को महिला द्वारा इच्छुक जोड़े को सौंपा जाना है। इसके लिए कानूनी रूप से एक महिला व पुरुष शादीशुदा होने चाहिए और उनकी उम्र 21 वर्ष और 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
2022 में दायर हुई थी तलाक की याचिका
अदालत ने कहा कि पारिवारिक अदालत ने सही ढंग से पति की मांग को ठुकराया है। अदालत ने कहा कि तलाक की याचिका वर्ष-2022 में दायर हुई है और इसमें लंबा वक्त लगने का याची का दावा तर्कसंगत नहीं है। अदालत ने कहा कि वह याचिका के जल्द निपटान की संबंधित अदालत से मांग कर सकते हैं।
अपील में कोई योग्यता नहीं है और इसे खारिज किया जाता है। 54 वर्षीय व्यक्ति ने याचिका में कहा था कि बढ़ती उम्र और तलाक की कार्यवाही पूरी होने में लगने वाले समय को देखते हुए उनके पास सरोगेसी के माध्यम से बच्चा पैदा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। सरोगेट मां के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने का महिला को निर्देश देने से इन्कार करने के लिए पारिवारिक न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी।