छत्तीसगढ़

चीन से नहीं मिला एक भी पैसा, फर्जी है आरोप… न्यूजक्लिक के संपादक ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा

नई दिल्ली। गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए, UAPA) के तहत गिरफ्तारी और रिमांड के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान एक तरफ जहां न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ आरोपों को झूठा और फर्जी बताया। वहीं, दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि यह गंभीर अपराध है और मामले की जांच अभी भी जारी है।

पुरकायस्थ की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दावा किया कि सभी तथ्य झूठे हैं। चीन से एक पैसा भी नहीं आया और पूरी बात फर्जी है। यह याचिका प्रबीर पुरकायस्थ और समाचार पोर्टल के मानव संसाधन विभाग के प्रमुख अमित चक्रवर्ती ने दायर की है।

पैसे लेने का उद्दयेश्य देश की अखंडता को चोट पहुंचाना

सिब्बल के दावे पर एसजी तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष कहा कि लगभग 75 करोड़ रुपये की जांच जारी है और मैं इसे केस डायरी से दिखा सकता हूं। उन्होंने कहा कि चीन में रहने वाले एक व्यक्ति से पैसा आया है। इसके पीछे का उद्देश्य देश की स्थिरता और अखंडता को चोट पहुंचाना है।

कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित रखा

अदालत ने दोनों पक्षों की लंबी जिरह सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। पीठ ने कहा कि आरोपितों की आगे की रिमांड इस अदालत के आदेश के अधीन होगी।

चीनी व्यक्ति के बीच मेल का हुआ आदान-प्रदान

एसजी तुषार मेहता ने कहा कि चीन में बैठे किसी व्यक्ति के साथ आरोपित व्यक्तियों के बीच ई-मेल आदान-प्रदान होना सबसे गंभीर आरोपों में से एक यह है। कपिल सिब्बल ने एसजी के दावे का खंडन किया।

गिरफ्तारी का नहीं बताया गया आधार

वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने तर्क दिया कि वर्तमान मामले में उनकी गिरफ्तारी और रिमांड को कई कानूनी आधारों पर कायम नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने तर्क दिया कि गिरफ्तारी के समय या आज तक गिरफ्तारी के आधार के बारे में नहीं बताया गया था।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन

उन्होंने कहा कि निचली अदालत ने उनके वकीलों की अनुपस्थिति में रिमांड आदेश पारित किया था। उन्होंने तर्क दिया कि गिरफ्तारियां सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का उल्लंघन हैं। शीर्ष अदालत ने कहा था कि पुलिस के लिए किसी आरोपित को पकड़ते समय गिरफ्तारी का लिखित आधार प्रदान करना अनिवार्य है। कृष्णन ने कहा कि गिरफ्तारी का आधार बताना और पसंद का वकील रखना संवैधानिक अधिकार है।

वहीं, एसजी मेहता ने कहा कि लिखित रूप में गिरफ्तारी के आधार की आपूर्ति से संबंधित सुप्रीम कोर्ट का निर्णय मनी लॉन्ड्रिंग के तहत अपराधों के लिए था, जोकि यूएपीए से अलग था और इस मामले पर लागू नहीं होगा। एसजी मेहता ने कहा कि जांच एजेंसी ने आरोपितों को गिरफ्तारी के कारणों के बारे में सूचित किया था और निर्धारित समय के भीतर विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया।

उन्होंने सुझाव दिया कि पुलिस हिरासत समाप्त हो रही है, ऐसे में आरोपितों को न्यायिक हिरासत में भेजा जा सकता है और बाद में वे वे नियमित जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने तीन अक्टूबर को दिल्ली में 88 व अन्य राज्यों में छापेमारी कर मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त कर लिए गए थे।