नईदिल्ली । पुरानी कहावत है अच्छी शुरुआत तो आधा काम पूरा। मजबूत आस्ट्रेलियाई टीम पर भारत की जीत निश्चित रूप से खिलाड़ियों को यह विश्वास दिलाएगी कि उन्होंने विश्व कप जीतने के अभियान की सकारात्मक शुरुआत कर दी है। एक बात जो उन्हें अधिक उत्साहित करेगी वो यह कि किस तरह इन्होंने कम लक्ष्य का पीछा करने के दौरान विषम परिस्थितियों से खुद को उबारा और आराम से मैच जीता।
उस मैच में गेंदबाजों का योगदान काफी अहम था, क्योंकि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को 200 के स्कोर पर रोका। यहां तक कि स्टीव स्मिथ जो जडेजा की गेंद पर बोल्ड हुए वह भी गेंद को ठीक से नहीं समझ सके। जडेजा ने तीन विकेट झटके, लेकिन अन्य गेंदबाज भी पीछे नहीं रहे। जसप्रीत बुमराह ने शुरुआत में कंगारूओं को झटका दिया और फार्म में चल रहे मिशेल मार्श को स्लिप में कोहली द्वारा शानदार कैच कराया।
कुलदीप, अश्विन और हार्दिक पांड्या ने भी अच्छी गेंदबाजी की और बल्लेबाजों के लिए काम आसान कर दिया। शुरुआत में लड़खड़ाने के बाद भारत को जीत दिलाने के लिए कोहली और राहुल ने अपने अनुभव का बखूबी फायदा उठाया। अब अरुण जेटली स्टेडियम में जहां पिछले मैच में काफी रन वर्षा हुई थी, वहां भारत की नजरें शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों पर टिकी होंगी जो ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध असफल रहे थे।
छोटा मैदान होने के कारण शायद भारत एक स्पिनर को बाहर कर सकता है। हालांकि, कप्तान और कोच के दिमाग में यह बात हो सकती है कि पहले मैच में इतनी अच्छी गेंदबाजी करने वाले संयोजन को क्यों बदला जाए। अफगानिस्तान की टीम में ऐसे बल्लेबाज हैं जो सीधे आक्रमण करना पसंद करते हैं और ऐसे गेंदबाज हैं जो थोड़ी सी टर्न वाली पिच पर समस्या पैदा कर सकते हैं।
उनका कहना होता है कि वे वनडे प्रारूप की तुलना में टी-20 में कहीं अधिक खतरनाक टीम है। अफगानिस्तान का गेंदबाजी आक्रमण काफी हद तक राशिद खान पर निर्भर रहता है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि विश्व कप इतिहास में उनके आंकड़े खराब हैं। वह गेंद और बल्ले दोनों से प्रभावशाली खिलाड़ी हैं और एक फील्डर के रूप में अपनी टीम को काफी ऊपर उठा सकते हैं।
बल्लेबाजी में टीम गुरबाज पर निर्भर हो सकती है जिन्होंने हाल ही में पाकिस्तान के विरुद्ध शतक लगाया था। अफगानिस्तान एक साहसी टीम है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि 50 ओवर के खेल में वे ऐसा कर पाएंगे या नहीं। भारत ने सकारात्मक शुरुआती की है और टीम इसे आगे भी जारी रखना चाहेगी।