छत्तीसगढ़

वोटिंग में क्या है NOTA, वोटर्स क्यों चुनते हैं ये विकल्प और कब से हुई इसकी शुरुआत, जानिए इससे जुड़ी हर बात

नईदिल्ली : चुनावी मौसम में आप अक्सर नोटा (NOTA) शब्द को कई बार सुनते होंगे. यह क्या है और इसका इस्तेमाल कब करते हैं, इसकी जानकारी अब वोट डालने वाले लगभग 80 प्रतिशत लोगों को होती है, लेकिन इससे जुड़ी कुछ बातें ऐसी भी हैं जिनके बारे में सभी को नहीं पता है. यहां हम आपको विस्तार से बताएंगे नोटा से जुड़ी हर जानकारी.

नोटा यानी ‘नन ऑफ द एबव’. यानी इन में से कोई नहीं. वोटिंग के दौरान भी लोगों को इसका विकल्प मिलता है. यानी आपको अगर किसी सीट पर खड़े प्रत्याशियों में से कोई भी पसंद नहीं है तो आप नोटा का विकल्प चुन सकते हैं. ईवीएम में ही आपको नोटा का बटन मिलता है. इस बटन का रंग गुलाबी रंग का होता है.

पहली बार कब हुआ इसका इस्तेमाल?

चुनाव आयोग ने दिसंबर 2013 में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में NOTA बटन का विकल्प देने के निर्देश दिए थे. मतगणना के दौरान जब वोटों की काउंटिंग होती है तब ये भी गिना जाता है कि कितने लोगों ने नोटा को वोट दिया है. इन वोटों का रिकॉर्ड भी रखा जाता है. भारत के अलावा ग्रीस, यूक्रेन, स्पेन, कोलंबिया और रूस व कई अन्य देशों में भी नोटा का विकल्प मतदाताओं को चुनाव के दौरान मिलता है.

इसलिए की गई नोटा की व्यवस्था

दरअसल, जब देश में नोटा का विकल्प नहीं था तब कई जगह वोटर्स उम्मीदवार के पसंद न आने पर मतदान नहीं करते थे. ऐसे में वोटिंग पर्सेंटेज गिर जाता था. इसे देखते हुए ही चुनाव आयोग ने मतदाताओं को नोटा का विकल्प देने का फैसला किया. वैसे ईवीएम से पहले बैलेट पेपर के वक्त में भी ऐसा ही एक विकल्प होता था. तब मतदाता बैलेट पेपर को खाली छोड़कर अपना विरोध दर्ज करा सकते थे. इससे स्पष्ट हो जाता था कि उन्हें कोई प्रत्याशी पसंद नहीं आया.