नईदिल्ली : चंद्रयान-3 की सफलता के कुछ दिन बाद भारत ने पिछले महीने अपने पहले सूर्य मिशन को प्रक्षेपित किया। सूर्य के अध्ययन के लिए ‘आदित्य एल1’ को धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर ‘लैग्रेंजियन-1 (एल-1) ’ बिंदु तक पहुंचना है। अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपडेट दिया है कि आदित्य एल-1 जनवरी के मध्य तक लैग्रेंजियन-1 तक पहुंच जाएगा।
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ का कहना है कि यह बहुत अच्छी तरह से काम कर रहा है। वर्तमान में, पृथ्वी से एल-1 प्वाइंट तक पहुंचने में करीब 110 दिन लगते हैं। इसलिए जनवरी के मध्य तक यह एल-1 प्वाइंट तक पहुंच जाएगा। इसके बाद आदित्य एल-1 को पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंजियन पॉइंट के हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। आदित्य एल-1 पर लगे पेलोड सूरज की रोशनी, प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करेंगे।
बता दें, सोमनाथ तमिलनाडु के मदुरै में पत्रकारों से बात कर रहे थे। गौरतलब है कि इसरो ने दो सितंबर को पीएसएलवी सी57 लॉन्च व्हीकल से आदित्य एल1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से हुई। यह मिशन भी चंद्रयान-3 की तरह पहले पृथ्वी की परिक्रमा करेगा और फिर यह तेजी से सूरज की दिशा में उड़ान भरेगा। इसरो ने बताया था कि आदित्य एल1 ने अपनी कक्षा बदलकर अगली कक्षा में प्रवेश किया। आदित्य एल1 पृथ्वी की कक्षा में 16 दिन बिताएगा। इस दौरान पांच बार इसकी कक्षा बदलने के लिए अर्थ बाउंड फायरिंग की जाएगी।
इसके अलावा इसरो प्रमुख ने ‘गगनयान’ मिशन के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि परीक्षण वाहन-डी1 मिशन 21 अक्तूबर के लिए निर्धारित है। यह गगनयान कार्यक्रम है। गगनयान कार्यक्रम के लिए क्रू एस्केप सिस्टम का प्रदर्शन करते हुए परीक्षण की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा, ‘हर महीने हम कम से कम एक प्रक्षेपण करेंगे। इस परीक्षण वाहन प्रक्षेपण के बाद, हमारे पास जीएसएलवी है। फिर हमारे पास एसएसएलवी है। फिर उसके बाद गगनयान मानवरहित मिशन होगा। बीच में एक पीएसएलवी प्रक्षेपण होगा। इसलिए जनवरी से पहले, आप कम से कम 4-5 लॉन्च देखेंगे।’
110 दिन बाद लैग्रेंजियन पॉइंट पर पहुंचेगा आदित्य
110 दिन की यात्रा के बाद आदित्य एल1 लैग्रेजियन-1 पॉइंट पर पहुंचेगा। लैग्रेंजियन-1 पॉइंट पहुंचने के बाद आदित्य एल1 में एक और मैनुवर किया जाएगा, जिसकी मदद से आदित्य एल1 को एल1 पॉइंट के हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। यही से आदित्य एल1 सूरज की स्टडी करेगा। यह लैग्रेंजियन पॉइंट सूरज की दिशा में पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर है। आदित्य एल1 के साथ सात पेलोड भेजे गए हैं, जो सूरज का विस्तृत अध्ययन करेंगे। इनमें से चार पेलोड सूरज की रोशनी का अध्ययन करेंगे। वहीं बाकी तीन सूरज के प्लाजमा और चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करेंगे।
इस दौरान प्रक्रियाएं क्या-क्या होंगी?
प्रारंभिक कक्षा: अंतरिक्ष यान को प्रारंभ में पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
अण्डाकार कक्षा: फिर कक्षा को अधिक अण्डाकार बनाने वाली प्रक्रिया की जाएगी।
पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के प्रभाव से बाहर निकालना: अंतरिक्ष यान को प्रणोदन का उपयोग करके L1 बिंदु की ओर बढ़ाया जाएगा। जैसे ही अंतरिक्ष यान लैग्रेंज बिंदु की ओर बढ़ेगा, यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के प्रभाव से बाहर निकल जाएगा।
क्रूज चरण: पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के प्रभाव को छोड़ने के बाद, मिशन का क्रूज चरण शुरू होगा। इस चरण में अंतरिक्ष यान को उतारने की प्रक्रिया की जाती है।
हेलो ऑर्बिट: मिशन के अंतिम चरण में अंतरिक्ष यान को लैग्रेंज बिंदु (एल1) के चारों ओर एक बड़ी हेलो कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इस तरह से लॉन्चिंग और एल1 बिंदु के पास हेलो कक्षा में अंतरिक्ष यान की स्थापना में करीब चार महीने का वक्त गुजरेगा।
मिशन के उद्देश्य क्या हैं?
भारत का महत्वाकांक्षी सौर मिशन आदित्य एल-1 सौर कोरोना (सूर्य के वायुमंडल का सबसे बाहरी भाग) की बनावट और इसके तपने की प्रक्रिया, इसके तापमान, सौर विस्फोट और सौर तूफान के कारण और उत्पत्ति, कोरोना और कोरोनल लूप प्लाज्मा की बनावट, वेग और घनत्व, कोरोना के चुंबकीय क्षेत्र की माप, कोरोनल मास इजेक्शन (सूरज में होने वाले सबसे शक्तिशाली विस्फोट जो सीधे पृथ्वी की ओर आते हैं) की उत्पत्ति, विकास और गति, सौर हवाएं और अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन करेगा।