छत्तीसगढ़

सिसोदिया को अनिश्चितकाल के लिए जेल में नहीं रख सकते, सुप्रीम कोर्ट ने CBI-ED से कही यह बात

नईदिल्ली : दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया उत्पाद शुल्क नीति मामले में सलाखों के पीछे हैं। आम आदमी पार्टी के कद्दावर नेता करीब आठ महीने से जेल में हैं। सीबीआई और ईडी इस मामले की जांच कर रही हैं। लगातार खारिज हो रही जमानत याचिकाओं के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और ईडी से कहा कि सिसोदिया को अनिश्चित काल तक जेल में नहीं रख सकते। सुनवाई बेनतीजा रही और मंगलवार को भी जारी रहेगी।

आरोपों पर बहस कब शुरू होगी?
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कई सवाल किए। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने दोनों जांच एजेंसियों की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूछा कि निचली अदालत में सिसोदिया के खिलाफ आरोपों पर बहस कब शुरू होगी।

सिसोदिया के खिलाफ बहस पर क्या बोले सरकारी वकील
पीठ ने राजू से कहा, आप सिसोदिया को अनिश्चितकाल तक जेल में (सलाखों के पीछे) नहीं रख सकते। एक बार किसी मामले में आरोप पत्र दायर हो जाने के बाद, आरोप पर बहस तुरंत शुरू होनी चाहिए। कोर्ट की टिप्पणी पर राजू ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सिसोदिया के खिलाफ मामले दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 207 (आरोपी को दस्तावेजों की आपूर्ति) के चरण में हैं। इसके बाद आरोपों पर बहस शुरू होगी।

सिसोदिया के पास डिप्टी सीएम समेत 18 विभाग थे
न्यायमूर्ति खन्ना ने राजू से सवाल किया “आरोप पर बहस अभी तक क्यों शुरू नहीं हुई है और वे कब शुरू होंगी? हमें आज (मंगलवार) जवाब दें।” बता दें कि शीर्ष अदालत ने सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की। सिसोदिया को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया था। सोमवार को लगभग घंटे भर चली सुनवाई के दौरान, राजू ने कहा कि अगर उप मुख्यमंत्री स्तर का कोई व्यक्ति और उत्पाद शुल्क विभाग सहित 18 विभाग संभाल रहा है, उसके खिलाफ रिश्वत लेने के आरोप हैं तो ऐसे मामले में अदालत को उचित उदाहरण स्थापित करने की जरूरत है।

सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप
सिसोदिया को जमानत नहीं देने पर जोर देते हुए राजू ने अपनी दलीलों में कहा, इस व्यक्ति (सिसोदिया) की भूमिका पर एक नजर डालें। नीति में बदलाव के कारण उपभोक्ताओं को उनके पैसे से वंचित कर दिया गया है। मनी लॉन्ड्रिंग की साजिश दिखाने के लिए व्हाट्सएप चैट समेत कई संचार, बतौर सबूत पेश किए गए हैं। उन्होंने अपने मोबाइल फोन को नष्ट करके सबूतों के साथ छेड़छाड़ की। तमाम आरोप जमानत याचिका खारिज करने के लिए पर्याप्त हैं।

सिसोदिया से डरने वाला दिनेश अरोड़ा अब सरकारी गवाह
उन्होंने कहा, “ताकत के इस्तेमाल का एक उदाहरण भी है जहां एक थोक व्यापारी को अपना लाइसेंस छोड़ने के लिए मजबूर किया गया, जबकि एक फर्म को मानदंडों पर खरा नहीं उतरने के बावजूद लाइसेंस दिया गया।” राजू ने आरोपी से सरकारी गवाह बने दिल्ली के कारोबारी दिनेश अरोड़ा के बयान का हवाला भी दिया। उन्होंने दावा किया कि दिनेश ने जांच एजेंसियों को सिसोदिया के रिश्वत के बारे में बताया था। पहले सिसोदिया की भूमिका का जिक्र इसलिए नहीं किया क्योंकि उन्हें डर था कि उन्हें नुकसान पहुंचाया जाएगा।”

26 फरवरी को गिरफ्तारी, कैबिनेट से इस्तीफा
सिसोदिया को 26 फरवरी को ‘घोटाले’ में उनकी कथित भूमिका के लिए सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। तब से वह हिरासत में हैं। ईडी ने तिहाड़ जेल में उनसे पूछताछ के बाद 9 मार्च को सीबीआई की एफआईआर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने 28 फरवरी को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। गौरतलब है कि इस मामले में विपक्षी दल भाजपा और दिल्ली में सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी के बीच जमकर सियासी बयानबाजी भी होती है।