छत्तीसगढ़

बृजभूषण को अदालत ने पेशी से दी एक दिन की छूट, अब 30 अक्टूबर को सुना जाएगा मामला

नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन उत्पीड़न मामले में आरोपित भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को अदालत ने पेशी से एक दिन की छूट दे दी। राउज एवेन्यू कोर्ट के एडिशनल चीफ मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद मामले को 30 अक्टूबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

बृजभूषण की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव मोहन ने दलील दी कि पाश अधिनियम के तहत ओवरसाइट समिति आंतरिक शिकायत समिति (आइसीसी) के समान है। अधिवक्ता ने कहा कि पाश अधिनियम की धारा 11 के तहत अगर प्रथम दृष्टया आरोपित पर मामला बनता है तो आइसीसी आरोपित के खिलाफ सात दिनों के अंदर प्राथमिकी दर्ज करने की सिफारिश करेगी, लेकिन ओवसाइट कमेटी ने ऐसी कोई सिफारिश नहीं की तो यह कहा जा सकता है कि ओवरसाइट कमेटी को प्रथम दृष्टया उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई मामला बनता नहीं दिखा।

उन्होंने तर्क दिया कि मामले में प्राथमिकी की सिफारिश न करना इस तथ्य के बराबर है कि कोई मामला सामने नहीं आया था, लेकिन ओवरसाइट कमेटी की रिपोर्ट को उनके मुवक्किल की दोषमुक्ति के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया।

अधिवक्ता ने तर्क दिया है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 145 के ओवरसाइट कमेटी के समक्ष दिए गए बयान पिछले बयान हैं। उन्होंने कहा कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज कराए गए बयानों में विरोधाभास है। महिला पहलवानों ने बाद में अपने बयान बदले हैं इसलिए इन्हें अस्वीकार किया जाए।

दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश अतिरिक्त लोक अभियोजक ने दलील दी कि ओवरसाइट कमेटी का संविधान ही पाश अधिनियम की धारा 4 के अनुरूप नहीं है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि यह है आइसीसी के समान है। उन्होंने कहा कि दोषमुक्ति का तो सवाल ही नहीं उठता चूंकि ओवरसाइट कमेटी ने कोई सिफारिशें नहीं दी हैं।लोक अभियोजक ने कहा कि इस स्तर पर पिछले बयानों की अवधारणा पर बात करना बेमानी होगी। साक्ष्य के स्तर पर यह दलीलें पेश करना सही रहेगा, उससे पहले नहीं।