अयोध्या : उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर में सरयू नदी के किनारे मौजूद श्रीराम की नगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर ने आकार लेना शुरू कर दिया है. सालों से राम भक्तों को मंदिर का इंतजार था और अब पूरा होने की कगार पर आ गया है. भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त भी सामने आ गई है. इसके लिए 22 जनवरी 2024 की तारीख को तय किया गया है. इस तरह वर्षों से इंतजार कर रहे भक्तों को अगले साल से राम मंदिर में दर्शन की इजाजत मिलेगी.
राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के भव्य कार्यक्रम में शामिल होने के लिए न्यौता दिया है. इसे प्रधानमंत्री मोदी ने स्वीकार भी कर लिया है. पीएम ने ट्वीट किया, ‘ श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी मुझसे मेरे निवास स्थान पर मिलने आए थे. उन्होंने मुझे श्रीराम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर अयोध्या आने के लिए निमंत्रित किया है.मैं खुद को बहुत धन्य महसूस कर रहा हूं. मैं इस ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनूंगा.’
फैसले से लेकर निर्माण तक की टाइमलाइन कुछ ऐसी रही
सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर 2019 को रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया था. प्रधानमंत्री मोदी ने 5 फरवरी 2020 को राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का ऐलान किया था. 25 मार्च 2020 को भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए रामलला अस्थाई मंदिर में विराजमान हुए. 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर निर्माण के लिए पीएम मोदी ने राम जन्मभूमि का भूमि पूजन किया और खुदाई शुरू हुई. 20 अगस्त 2020 से राम जन्मभूमि मन्दिर के निर्माण काम शुरू हुआ.
विपक्ष ने निमंत्रण पर उठाए सवाल
वहीं, अब रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की तारीख सामने आने के बाद नया विवाद शुरू हो गया है. इस बार विवाद विपक्षी पार्टियों की तरफ से शुरू किया गया है.
विवाद रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण को लेकर है. कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा, ‘निमंत्रण सिर्फ एक ही पार्टी को जा रहा है क्या? भगवान सिर्फ एक ही पार्टी तक सीमित रह गए हैं क्या? आप इसे एक पार्टी कार्यक्रम बना रहे हैं. क्या यह एक ही व्यक्ति विशेष का कार्यक्रम है?’
शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है, लंबे समय के बाद यह राम मंदिर बन रहा है. इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. उम्मीद है जिन्होंने इसकी शुरूआत की थी उन सभी को इसमें निमंत्रण दिया जाएगा. शिवसेना का भी इस संघर्ष में काफी योगदान रहा है.
विपक्ष को क्यों निमंत्रण का इंतजार?
कभी धर्म को राजनीति से बाहर रखने की वकालत करने वाला विपक्ष आखिर आज राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण का इंतजार क्यों कर रहा है? सवाल ये है कि आखिर विपक्ष को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में पीएम को न्योता दिए जाने पर आपत्ति क्यों हैं? क्या विपक्ष की इस आपत्ति का कोई चुनावी कनेक्शन है? इसे समझने के लिए लिए राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह की पूरी टाइमलाइन को समझना होगा.
दरअसल, अब राम मंदिर की चर्चा ऐसे वक्त में हो रही है जब देश के पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं. राम रथ यात्रा से ही बीजेपी लोगों के बीच पहुंची थी. राम मंदिर के मुद्दे से ही बीजेपी 2 सीट से 303 सीट तक पहुंची. अब राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को बीजेपी के नेता मंदिर वहीं बनाएंगे का संकल्प पूरा होने के तौर पर प्रचारित कर रहे हैं. लेकिन ये फायदा सिर्फ 2023 तक नहीं है. विपक्ष की चिंता 2024 की है, जब देश में लोकसभा चुनाव करवाए जाएंगे.
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा जब होगी तब विश्व हिंदू परिषद ने पूरे देश में कार्यक्रम अयोजित करने का ऐलान किया है. VHP ने देश के दो लाख गांवों को राम मंदिर समारोह से जोड़ने की तैयारी है. पांच लाख मंदिरों को प्राण प्रतिष्ठा समारोह से जोड़ा जाएगा. वीएचपी कार्यकर्ता हर राज्य का दौरा करेंगे. ये सबकुछ जनवरी 2024 में होगा. तब देश में लोकसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ चुकी होगी. इतना ही नहीं राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की चर्चा अगले कई महीनों तक होगी. ये वो वक्त होगा जब लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और विपक्ष को डर है कि इसका भी फायदा बीजेपी को होगा.