नई दिल्ली। कांग्रेस उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अजय राय ने हाल ही में बयान दिया कि राहुल गांधी फिर अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, लेकिन प्रश्न यह है कि क्या राहुल भी वास्तव में तैयार हैं? प्रश्न बेजा नहीं, बल्कि परिस्थितियां पूछ रही हैं।
अमेठी से बनाई राहुल ने दूरी!
दरअसल, 2019 का लोकसभा चुनाव भाजपा की स्मृति ईरानी से हारने के बाद राहुल ने अमेठी से पर्याप्त दूरी बना ली है। वह तब से सिर्फ तीन बार अपने पुराने संसदीय क्षेत्र में गए हैं। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गांधी परिवार और कांग्रेस के लिए सुरक्षित मानी जाने वाली अमेठी संसदीय सीट 2004 में अपने बेटे राहुल गांधी के लिए रिक्त की थी। वह यह चुनाव और फिर 2009 और 2014 का भी चुनाव जीते।
स्मृति से हारे थे राहुल गांधी
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से स्मृति ईरानी ने उन्हें चुनौती दी और 2019 में हरा भी दिया। इस चुनौती को लेकर पहले से सतर्क राहुल केरल के वायनाड से भी चुनाव लड़े थे, इसलिए वहां से जीतकर संसद पहुंच गए, लेकिन फिर शायद उनका अपनी पारिवारिक-पारंपरिक सीट से मोहभंग हो गया। इसका संकेत राहुल के रुख से मिलता है।
राहुल 2019 में चुनाव हारने के थोड़े समय बाद ही 10 जुलाई, 2019 को अमेठी गए, लेकिन चुनावी समीक्षा के लिए। फिर लंबे समय यानी लगभग ढाई वर्ष बाद अपने पुराने संसदीय क्षेत्र की याद तब आई, जब उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव सिर पर आ गए। वह अपनी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ 18 दिसंबर, 2021 को अमेठी पहुंचे और पदयात्रा व जनसभा की। तब जनता के बीच दावा किया कि क्षेत्र से उनका संबंध राजनीतिक नहीं, बल्कि पारिवारिक है। मगर, उसके बाद फिर वह दिल्ली की राजनीति से तब अमेठी का रुख कर पाए, जब विधानसभा चुनाव का प्रचार चल रहा था।
चार साल से सोनिया भी नहीं गईं अमेठी
2022 के विधानसभा का वह चुनाव परिणाम भी कांग्रेस के लिए बेहद निराशाजनक रहा। उसके बाद राहुल ने मुड़कर अमेठी की तरफ नहीं देखा। सिर्फ राहुल ही नहीं, पूरे गांधी परिवार ने इस क्षेत्र से दूरी बना ली है। 2019 में प्रियंका के साथ सोनिया गांधी पहुंची थीं। तब से सोनिया नहीं गईं। उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव होने के बावजूद प्रियंका गांधी वाड्रा के भी तीन-चार से अधिक अधिकृत दौरे अमेठी में नहीं हुए हैं।
स्मृति ईरानी सक्रिय
वहीं, दूसरी ओर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी क्षेत्रीय सांसद होने के नाते लगातार वहां सक्रिय हैं। इसी महीने उनके तीन कार्यक्रम हो चुके हैं। वह बड़ी-बड़ी परियोजनाएं क्षेत्र के लिए लाकर अपनी जमीन और मजबूत कर लेना चाहती हैं। लोकसभा चुनाव बहुत दूर नहीं है। ऐसे में गांधी परिवार की अमेठी से यह दूरी बड़े संशय पैदा करती है।