नईदिल्ली : लिंग परिवर्तन कराकर महिला बनने वाले ट्रांसजेंडर घरेलू हिंसा कानून के तहत राहत की मांग कर सकते हैं या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सुनवाई करने के लिए अपनी सहमति दे दी है। हालांकि इस मामले की सुनवाई होने में अभी एक साल से ज्यादा का समय है। शीर्ष कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 2025 में करने की बात कही है। शीर्ष अदालत ने तब तक याचिकाकर्ता पति व उसकी अलग रह रही पत्नी के वकील को दलीलें पूरी करने को कहा है।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने 30 अक्तूबर को इस मामले में आदेश दिया था। जिसमें कहा गया कि बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर हम 2025 में सुनवाई करेंगे। आदेश में कहा गया था कि कैविएट के तहत पेश वकील ने आधिकारिक नोटिस दिया है। इसे हम स्वीकार करते हैं। महिला की अपील पर उन्हें जवाबी हलफनामा देने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया जाता है। इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील को प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने के लिए छह हफ्ते का वक्त दिया मिलेगा। पीठ ने कहा इस मामले को सुनवाई के लिए 2025 में सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
बता दें कि इस मामले में पति ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 16 मार्च के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है। हाईकोर्ट ने कहा था कि एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति जो लिंग परिवर्तन सर्जरी कराकर महिला बनने का विकल्प चुनता है, वह घरेलू हिंसा कानून के तहत राहत मांग सकता है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा था। निचली अदालत ने पति को अलग रह रही पत्नी को हर महीना 12 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था।
तीन साल के बच्चे को लिवर दान मंजूरी वाली याचिका पर सुनवाई टली
गंभीर लिवर रोग से पीड़ित तीन वर्षीय चचेरे भाई को एक व्यक्ति द्वारा लिवर दान करने की मंजूरी देने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की। इस दौरान शीर्ष कोर्ट ने इस याचिका पर सात नवंबर तक सुनवाई टाल दी।
जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने इस याचिका पर निर्देश दिया कि प्राधिकरण समिति के समक्ष तुरंत एक आवेदन दायर किया जाए। प्राधिकरण समिति मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम और नियमों के दायरे में अंग प्रत्यारोपण की अनुमति देती है। शीर्ष अदालत को जब बताया गया कि प्राधिकरण समिति के समक्ष औपचारिकताएं अभी तक पूरी नहीं हुई हैं तो सुनवाई मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
चार उच्च न्यायालयों में 13 न्यायाधीश नियुक्त
देश के चार हाई कोर्ट में 13 न्यायधीशों की नियुक्ति की गई है। इनमें छह वकील और सात न्यायिक अधिकारी शामिल हैं। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने एक्स पर एक पोस्ट कर इन नियुक्तियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 13 नए न्यायाधीशों में से सात मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, तीन को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट, दो को पटना हाईकोर्ट और एक को गुवाहाटी हाईकोर्ट में नियुक्त किया गया है।
इससे पहले, बीते माह 11 न्यायिक अधिकारियों और छह अधिवक्ताओं को दिल्ली सहित आठ उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।
राज्यपाल आर एन रवि के खिलाफ तमिलनाडु सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट
तमिलनाडु सरकार ने राज्यपाल आर एन रवि के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। सरकार ने राज्यपाल रवि पर भारथिअर विश्वविद्यालय, तमिलनाडु शिक्षक शिक्षा विश्वविद्यालय और मद्रास विश्वविद्यालय में कुलपतियों की नियुक्ति के लिए खोज समितियों के गठन और पुनर्गठन के मामले में कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह को ओड़िशा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की है।