छत्तीसगढ़

WC: श्रीलंका में नाटक जारी, कोर्ट ने क्रिकेट बोर्ड को फिर से बहाल किया; खेल मंत्री ने SLC को किया था बर्खास्त

Sri Lanka court restores sacked cricket board after Shammi Silva challenged Roshan Ranasinghe decision WC 2023

कोलंबो। विश्व कप में भारत से शर्मनाक हार के कुछ दिन बाद श्रीलंका के खेल मंत्री रोशन रणसिंघे ने सोमवार को अपने देश के क्रिकेट बोर्ड को बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड ने अदालत का सहारा लिया। श्रीलंका कोर्ट ऑफ अपील ने देश के क्रिकेट बोर्ड को बर्खास्त करने के खेल मंत्री के फैसले को रद्द कर दिया है और पूरी सुनवाई लंबित रहने तक मंगलवार को निष्कासित अधिकारियों को बहाल कर दिया।

अदालत ने शम्मी सिल्वा की याचिका स्वीकार की

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भारत बनाम श्रीलंका – फोटो : सोशल मीडिया

अदालत ने बोर्ड अध्यक्ष शम्मी सिल्वा की वह याचिका स्वीकार कर ली जिसमें श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड को बर्खास्त करने और अंतरिम समिति नियुक्त करने के मंत्री रोशन रणसिंघे के कदम को चुनौती दी गई थी। अदालत के एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है, ”बोर्ड की बहाली दो सप्ताह के लिए है जब अदालत मामले की फिर से सुनवाई करेगी। बोर्ड अधिकारियों ने कहा कि सिल्वा को पूर्व कप्तान अर्जुन रणतुंगा की अध्यक्षता वाली अंतरिम समिति को पद पर बने रहने से रोकने का आदेश हासिल करने के बाद काम पर लौटना था। सरकार ने बोर्ड के ‘बकाया मुद्दों’ के समाधान के लिए एक कैबिनेट समिति भी नियुक्त की थी।

क्या है पूरा मामला?

Sri Lanka court restores sacked cricket board after Shammi Silva challenged Roshan Ranasinghe decision WC 2023

भारत बनाम श्रीलंका – फोटो : सोशल मीडिया

इससे पहले श्रीलंका के खेल मंत्री रोशन रणसिंघे ने विश्व कप में भारत से मिली शर्मनाक हार के बाद सोमवार को राष्ट्रीय क्रिकेट बोर्ड को बर्खास्त कर दिया था। बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर रणसिंघे का श्रीलंका क्रिकेट के साथ महीनों से विवाद चल रहा है। रणसिंघे के कार्यालय ने एक बयान में कहा था कि देश के 1996 विश्व कप विजेता कप्तान अर्जुन रणतुंगा को नए अंतरिम बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। बयान के अनुसार, खेल मंत्री रोशन रणसिंघे ने श्रीलंका क्रिकेट के लिए अंतरिम समिति का गठन भी किया था। 

नए सात सदस्यीय पैनल में सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज और बोर्ड के एक पूर्व अध्यक्ष भी शामिल थे। यह कदम बोर्ड के दूसरे सबसे बड़े अधिकारी सचिव मोहन डी सिल्वा के इस्तीफा देने के एक दिन बाद उठाया गया था। रणसिंघे ने पिछले सप्ताह विश्व कप में मेजबान भारत के हाथों श्रीलंका की 302 रन की हार के बाद सार्वजनिक रूप से पूरे बोर्ड के इस्तीफे की मांग की थी। भारत के 358 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए श्रीलंका की टीम एक समय 14 रन पर छह विकेट गंवा दिए थे और 55 रन पर सिमट गई थी, जो विश्व कप के इतिहास में चौथा सबसे कम स्कोर है।

श्रीलंका में भड़का जनाक्रोश

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श्रीलंकाई टीम – फोटो : सोशल मीडिया

इस हार के बाद जनाक्रोश भड़क उठा और शनिवार को विरोध प्रदर्शन के बाद से कोलंबो में बोर्ड कार्यालय के बाहर पुलिस तैनात कर दी गई। रणसिंघे ने कहा था कि श्रीलंका क्रिकेट के अधिकारियों को पद पर बने रहने का कोई नैतिक या नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, ‘बोर्ड के अधिकारियों को स्वेच्छा से इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने पहले बोर्ड पर देशद्रोही और भ्रष्ट होने का आरोप लगाया था। श्रीलंकाई टीम सोमवार को बांग्लादेश से हारकर विश्व कप से भी बाहर हो गई।

रणसिंघे ने आईसीसी से समर्थन की मांग की थी

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रोशन रणसिंघे – फोटो : सोशल मीडिया

रणसिंघे ने शनिवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के पूर्ण सदस्यों को पत्र लिखकर आपसी समझ और समर्थन की मांग की थी। श्रीलंकाई मीडिया को जारी पत्र में रणसिंघे ने कहा, ‘श्रीलंका क्रिकेट खिलाड़ियों के अनुशासनात्मक मुद्दों, प्रबंधन भ्रष्टाचार, वित्तीय कदाचार और मैच फिक्सिंग के आरोपों से घिरा हुआ है। खेल मंत्री को आईसीसी ने बोर्ड में कथित भ्रष्टाचार की जांच के लिए पिछले महीने नियुक्त तीन सदस्यीय पैनल को वापस लेने के लिए मजबूर किया था क्योंकि इसे राजनीतिक हस्तक्षेप माना गया था।

आईसीसी ने नहीं दी कोई प्रतिक्रिया

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श्रीलंकाई टीम – फोटो : सोशल मीडिया

आईसीसी ने रणसिंघे के ताजा कदम पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। श्रीलंका ने 1996 के बाद से विश्व कप नहीं जीता है और रणसिंघे ने बोर्ड को इस खराब स्तर के लिए जिम्मेदार ठहराया है। एक अन्य कैबिनेट मंत्री प्रसन्ना रणतुंगा ने अगस्त में संसद को बताया था कि 1996 की जीत हमारे क्रिकेट के लिए सबसे बड़ा अभिशाप थी। 

उन्होंने कहा, ‘1996 के बाद क्रिकेट बोर्ड में पैसा आना शुरू हुआ और इसके साथ ही वे लोग आए जो चोरी और भ्रष्टाचार करना चाहते थे।’ पूर्व खेल मंत्री हरिन फर्नांडो ने 2019 में यह कहते हुए कड़े भ्रष्टाचार विरोधी कानून पेश किए थे कि आईसीसी श्रीलंका को दुनिया के सबसे भ्रष्ट क्रिकेट देशों में से एक मानता है।