नई दिल्ली। कतर की एक अदालत से भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को मिली मौत की सजा के खिलाफ भारत सरकार ने वहां की एक दूसरी अदालत में मामला दायर किया है। साथ ही सरकार कतर के साथ कूटनीतिक स्तर पर संवाद जारी रखे हुए है ताकि मामले को अदालत से बाहर निबटाने की सूरत बने।
उल्लेखनीय बात यह है कि कतर की अदालत ने भारतीय नौसेना के इन अधिकारियों को किस मामले में मौत की सजा दी है, यह अभी तक रहस्य बना हुआ है। ये अधिकारी नौ सेना से सेवानिवृत्त हो चुके हैं और फिलहाल कतर की एक कंपनी में कार्यरत थे। ये जिस कंपनी में काम कर थे उसका संचालन भी बंद कर दिया गया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को बताया कि पिछले मंगलवार (07 नवंबर) को ही फांसी की सजा प्राप्त भारतीय अधिकारियों से भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने मुलाकात की है। अगस्त, 2022 में गिरफ्तार इन अधिकारियों से अभी तक सिर्फ दो बार भारतीय दूतावास की पहुंच दी गई है।
उन्होंने कहा कि अदालत का फैसला काफी गोपनीय है और उसे सिर्फ कानूनी टीम के साथ साझा किया गया है। टीम आगे की कानूनी कार्रवाई की तैयारी में जुटी है। इस बारे में अपील भी दायर कर दी गई है। हम इस बारे में कतर की टीम के साथ भी लगातार संपर्क में हैं। हम इन भारतीयों के परिजनों के साथ संपर्क में भी हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उनके साथ हाल ही में मुलाकात भी की थी।
अरिंदम बागची, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि जो भी संभव कानूनी मदद व कंसुलर मदद की जरूरत है हम उसे उपलब्ध कराने को तैयार हैं। साथ ही मैं सभी से यह अपील करूंगा कि वो बेवजह के अनुमान न लगाएं क्योंकि यह मामला काफी संवेदनशील है।
मालूम हो कि अल दाहरा में कंपनी में कार्यरत उक्त सभी अधिकारी भारतीय नौसेना के प्रमुख पदों पर काम कर चुके हैं और तकरीबन सभी भारतीय नौसेना के प्रमुख युद्धक पोतों पर भी तैनात रह चुके हैं। उल्लेखनीय तथ्य यह भी है कि ये कतर की जिस कंपनी में काम करते हैं वह भी वहां के सैन्य बलों से संबंधित है।
कतर के मीडिया ने इन पर इजरायल के लिए जासूसी करने संबंधी कुछ रिपोर्टें प्रकाशित की है। हालांकि इन अधिकारियों के परिजनों ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया है। इनका कहना है कि ये कतर सैन्य बलों के लिए काम कर रहे थे।