नईदिल्ली : चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक निर्धारित कक्षा में ले जाने वाले लॉन्च व्हीकल एलवीएम3एम4 के ऊपरी क्रायोजनिक हिस्से ने बुधवार को धरती के वातावरण में अनियंत्रित वापसी की है। इसका संभावित प्रभावी बिंदु उत्तरी प्रशांत महासागर आंका गया है। यह भारत के ऊपर से नहीं गुजरने वाला है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बयान के अनुसार, रॉकेट के इस हिस्से ने दोपहर करीब 2:42 बजे धरती के वातावरण में प्रवेश किया। रॉकेट की यह वापसी चंद्रयान के लॉन्च के 124 दिनों के बाद हुई है।
इसरो ने कहा कि उसने दुर्घटनावश होने वाले किसी भी संभावित विस्फोट के जोखिम को कम करने के लिए सभी अवशिष्ट प्रणोदक और ऊर्जा स्रोतों को हटाने की प्रक्रिया के तहत यान के इस ऊपरी चरण को निष्क्रिय कर दिया था। ऐसा अंतरिक्ष मलबा निस्तारण के लिए तय संयुक्त राष्ट्र और आईएडीसी के दिशा-निर्देशों के अनुरूप है।
इसरो ने कहा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए रॉकेट बॉडी को निष्क्रिय करना और मिशन के बाद उसका निपटान फिर बाहरी अंतरिक्ष गतिविधियों की दीर्घकालिक स्थिरता को संरक्षित करने की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। एलवीएम3 एम4 क्रायोजनिक ऊपरी चरण का मिशन के बाद का जीवनकाल अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति (आईएडीसी) 25 साल तय किया हुआ है।