छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ : सच हुई मोदी की ये भविष्यवाणी, राम-गौ माता का आशीर्वाद भी बघेल के नहीं आया काम

रायपुर । धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में फिर से भाजपा की सरकार काबिज होने जा रही है। हालांकि भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री कौन होगा यह अभी साफ नहीं हैं। अगले कुछ दिनों में इसका निर्णय हो जाएगा। भाजपा की इस जीत के पीछे की वजह पार्टी का साइलेंट कैंपेन बताया जा रहा है। छत्तीसगढ़ का यह परिणाम इसलिए भी अप्रत्याशित बताया जा रहा हैं, क्योंकि कांग्रेस को यहां पर मजबूत माना जा रहा था और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चुनावी कैंपेन के आगे भाजपा कमजोर दिख रही थी, लेकिन भाजपा ने चुनावी प्रचार में जबरदस्त तरीके से वापसी की और बघेल सरकार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

दरअसल, भाजपा के लिए छत्तीसगढ़ का चुनाव किसी भी अग्निपरीक्षा से कम नहीं था। क्योंकि यहां पर बघेल सरकार के खिलाफ कोई भी नाराजगी नहीं दिख रही थी। शुरुआत में भाजपा के पास मुद्दों की भी कमी दिखी। लेकिन चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में भाजपा ने मोदी कार्ड चला। पूरा चुनाव उनके चेहरे को आगे रखकर लड़ा। पीएम मोदी ने छत्तीसगढ़ में आक्रामक कैंपेन की शुरुआत की। चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने करीब 6 चुनावी रैलियां की थीं। पीएम मोदी ने महासमुंद की रैली में कहा था, मैं आपको भाजपा सरकार की शपथ ग्रहण का निमंत्रण देने आया हूं। पीएम मोदी ने दावा किया था, राज्य में भाजपा की सरकार बनना तय है। छत्तीसगढ़ में आचार संहिता लगने के बाद पीएम मोदी ने पहली रैली कांकेर में की थी। कांकेर बस्तर का इलाका है। बस्तर इलाके में बीजेपी 2018 के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया है।

छत्तीसगढ़ के चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा महादेव एप का रहा। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले उठाया। पीएम मोदी ने भी कहा था कि कांग्रेस ने भगवान शिव के नाम महादेव को भी नहीं छोड़ा। इसके बाद पूरी भाजपा इस मुद्दे को उठाने लगी। भाजपा ने पूरा चुनाव कैंपेन महादेव एप पर ही रखा, जिसे लेकर सीएम भूपेश बघेल कई बार असहज भी हुए। हालांकि वह हमेशा कहते रहे कि मेरा कोई लेना-देना नहीं है। बावजूद इसके भाजपा माहौल बनाने में कामयाब रही।

छत्तीसगढ़ के चुनाव में कांग्रेस की ओर से कई रैलियां की गईं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने बैक टू बैक कई रैलियां की थीं। इससे उलट भाजपा को चमत्कार की उम्मीद प्रधानमंत्री मोदी और अपने बूथ प्रबंधन पर थी। भाजपा की ओर से पीएम मोदी ने आक्रामक कैंपेन किया। साथ ही कार्यकर्ताओं ने जमीन पर भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ माहौल बनाया। पार्टी का पूरा फोकस शहरी इलाकों के साथ ही आदिवासी इलाकों पर था। 2018 में आदिवासियों ने कांग्रेस को एकतरफा वोट किया था, लेकिन पिछले कई साल से आदिवासियों का एक बड़ा तबका कांग्रेस सरकार से नाराज चल रहा था। भाजपा ने इन्हीं आदिवासियों तक अपनी पहुंच बनाई और मोदी सरकार के काम को लेकर गए। भाजपा आदिवासियों तक बघेल सरकार की नाकामियों पहुंचाने में कामयाब रही।

पुरानी पेंशन और गोबर-गोमूत्र भी नहीं आया काम

छत्तीसगढ़ की सत्ता में वापसी का सपना देख रही कांग्रेस के हाथ में कई मुद्दे थे। खासतौर पर गाय, गोबर और गौमूत्र। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौपालकों से गोबर खरीदना शुरू किया था। बाद में गौमूत्र भी खरीदना शुरू कर किया। दावा किया जा रहा था कि गोबर और गौमूत्र को खरीदने के कारण महिलाओं को वोट कांग्रेस को जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। छत्तीसगढ़ में हिंदुओं की आबादी 96 फीसदी है। इसी वजह से भूपेश बघेल ने सॉफ्ट हिंदुत्व का रास्ता चुना था। भूपेश बघेल ने राम के वनवास काल से जुड़े स्थलों को दुनिया के पर्यटन मैप पर लाने की महत्वाकांक्षी योजना शुरू की। राम के साथ भूपेश बघेल कृष्ण की भी शरण में गए थे। उन्होंने कृष्ण कुंज योजना की शुरुआत की थी। राम और कृष्ण को लेकर भूपेश बघेल का सॉफ्ट हिंदुत्व, भाजपा के हार्ड हिंदुत्व के आगे टिक नहीं पाया।

भूपेश बघेल सरकार सिर्फ हिंदुत्व के मुद्दे पर फेल नहीं हुई। हिंदुत्व के अलावा ओपीएस के मुद्दे पर भी कांग्रेस को हार मिली। कांग्रेस पुरानी पेंशन स्कीम को गेमचेंजर मान रही थी, लेकिन नतीजों ने बता दिया कि कर्मचारियों के बीच पुरानी पेंशन स्कीम की चर्चा भी नहीं रही। सिर्फ छत्तीसगढ़ नहीं, राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी जिस ओपीएस को कांग्रेस तुरुप का इक्का मान रही थी, लेकिन फेल साबित हुआ है।