छत्तीसगढ़

कांग्रेस को अहंकार ने डुबाया, लोकसभा चुनाव में भी यही होगा हाल, I.N.D.I.A की बैठक से पहले नीतीश की पार्टी ने खोला मोर्चा

पटना। चार राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता से बेदखल होने एवं मध्य प्रदेश में कांग्रेस की करारी हार पर जदयू के राष्ट्रीय मुख्य वक्ता केसी त्यागी ने कहा कि जनता के सभी फैसलों का स्वागत है।

उन्होंने कहा कि यह भारतीय जनता पार्टी की जीत है और कांग्रेस पार्टी की हार है। आइएनडीआइए की हार नहीं है। कांग्रेस पार्टी ने अपने बलबूते भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए चुनाव लड़ा था, उसकी योजना ध्वस्त हो गई। इसका आइएनडीआइए से कोई वास्ता नहीं है।

एक माह पहले बैठक होती तो नतीजा कुछ और होता

केसी त्यागी ने तीन राज्यों में हार के लिए कांग्रेस नेतृत्व को जिम्मेवार ठहराते हुए कहा कि चार राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने आइएनडीआइए के किसी नेता से संपर्क किया, न सहयोग मांगा। उसने अपने बूते चुनाव लड़ने और भारतीय जनता पार्टी को हराने की योजना बनायी, जो फेल हो गई।

उन्होंने कांग्रेस आलाकमान द्वारा बुलायी गयी बैठक पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि अब कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 6 दिसंबर को आइएनडीआइए की बैठक बुलायी है। यह बैठक एक माह पहले बुलायी होती तो नतीजा कुछ और होता।

उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व को नसीहत देते हुए कहा कि क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के बगैर, सामाजिक न्याय और समाजवादी विचाराधारा वाले ताकतों के बिना साथ लिये कांग्रेस पार्टी भारतीय जनता पार्टी को नहीं हरा सकती है।एक सवाल के जवाब में केसी त्याग ने कहा कि ओबीसी का आंदोलन नहीं हारा है, केवल कांग्रेस पार्टी चुनाव में हारी है। ओबीसी बड़ी ताकत है और वह आंदोलन नहीं हार सकता।

वर्चस्व दिखाने में सहयोगियों को नजर अंदाज

सीतामढ़ी से जदयू के सांसद सुनील कुमार पिंटू ने विधानसभा चुनावों में हार के लिए कांग्रेस पार्टी के नेताओं के अहंकार को जिम्मेवार ठहराया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने अपने सहयोगियों को भाव नहीं दिया। वर्चस्व दिखाने में सहयोगियों को नजर अंदाज (इग्नोर) किया।

उन्होंने कहा कि इसकी वजह से कांग्रेस पार्टी की करारी हार हुई। अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को आइएनडीआइए की बैठक बुलाने की याद आई है।

2024 के लोकसभा में अगर कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो बनने का प्रयास करेगी तो उस लोकसभा चुनाव का भी यही परिणाम होगा। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को क्षेत्रीय पार्टियों के पीछे बैकफुट पर आना होगा।