लखीमपुर खीरी : तिकुनिया हिंसा मामले में सुनवाई के दौरान ही रसूखदार आरोपियों के खिलाफ गवाह अपने बयानों से किनारा करते दिखाई दिया। इस पर अभियोजन की ओर से गवाह को लेकर उसके पक्षद्रोही होने की आशंका प्रकट की गई। साथ ही उसे गवाह के रूप में पेश न करने का निर्णय लिया।
तीन अक्तूबर, 2021 को तिकुनिया में हुए खूनी संघर्ष में चार किसानों समेत आठ लोग मारे गए थे। मामले में एडीजे प्रथम की अदालत में सुनवाई चल रही है। एडीजे सुनील वर्मा के तबादले के बाद अब एडीजे रामेंद्र कुमार मामले की सुनवाई कर रहे हैं, लेकिन इस केस की सुनवाई के दौरान अहम मोड़ आ गया है। अब तक तिकुनिया हिंसा मामले में पांच गवाह पेश हो चुके हैं।
छठे गवाह के रूप में शमशेर सिंह को पेश किया जाना था, लेकिन गवाह को पेश करने से पहले जब अभियोजन टीम ने उससे सवाल-जवाब करने शुरू किए तो पुलिस और एसआईटी के समक्ष दिए गए अपने पूर्व के बयानों से हटकर गवाह ने हर बात पर हां कहना शुरू कर दिया। इससे प्रारंभिक पूछताछ में ही अभियोजन पक्ष को ऐसा लगा कि ऐसे गवाह को पेश करने से जो हर बात में हां कर रहा है, उससे अभियोजन पक्ष को नुकसान हो सकता है। क्योंकि वह हर किसी बात पर बिना सोचे विचारे ही हां करने लगा।
लिहाजा अभियोजन टीम के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेश सिंह मुन्ना और डीजीसी अरविंद त्रिपाठी ने गवाह को अदालत में पेश न करने का निर्णय लिया। चूंकि उसका नाम गवाहों की सूची में लिखा हुआ है, तो डीजीसी की ओर से छठे गवाह के रूप में तेजेंद्र सिंह विर्क को पेश करने का अनुरोध किया गया और अदालत से प्रार्थना पत्र देते हुए गवाह शमशेर सिंह का नाम अभियोजन गवाह की सूची से खारिज करने की अनुमति मांगी। इस पर एडीजे रामेंद्र कुमार ने गवाह शमशेर सिंह के नाम को गवाह सूची से खारिज करने का आदेश दिया है।
इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 23 दिसंबर को सुनवाई की अगली तारीख मुकर्रर की है। साथ ही छठे गवाह के रूप में उधम सिंह नगर निवासी तेजेंद्र सिंह विर्क को सम्मन जारी करते हुए अदालत में हकीकत बयां करने के लिए तलब किया है।
बता दें कि तिकुनिया हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के पुत्र आशीष मिश्र मोनू और अंकित दास सहित 14 आरोपियों के खिलाफ अदालत में सुनवाई चल रही है। कुछ लोग इसी लिहाज से इसे लेकर काफी पशोपेश में हैं।