नईदिल्ली : अनुच्छेद 370 मामले पर सुप्रीम कोर्ट 11 दिसंबर को फैसला सुनाएगा. 5 सितंबर को संविधान पीठ ने 16 दिन की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. 5 अगस्त 2019 को संसद ने जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत मिला विशेष दर्जा खत्म किया था. साथ ही राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटा था. इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.
अनुच्छेद 370 पर याचिकाकर्ताओं और सरकार ने क्या कहा?
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि राज्य का संविधान बनने के बाद 1957 में जम्मू और कश्मीर संविधान सभा के विघटन के बाद अनुच्छेद 370 ने एक स्थायी स्वरूप प्राप्त कर लिया था.
याचिकाकर्ताओं में से एक का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अनु्च्छेद 370 के निरस्तीकरण की प्रक्रिया की संवैधानिकता पर सवाल उठाया. उन्होंने संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्ति से संबंधित अनुच्छेद 368 का जिक्र करते हुए सिब्बल ने कहा कि यह अनुच्छेद 370 पर लागू नहीं होता.
सुप्रीम कोर्ट में सरकार पक्ष रखने वाले अटॉर्नी-जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वकील कनु अग्रवाल ने तर्क दिया कि प्रावधान हमेशा अस्थायी था और इसका (अनुच्छेद 370) निरस्तीकरण भारत संघ के साथ जम्मू-कश्मीर के पूर्ण एकीकरण की दिशा में अंतिम कदम था.