छत्तीसगढ़

गलत इरादे से मेरा पूर्व प्रेमी…, संसद सदस्यता रद्द होने पर भड़कीं महुआ मोइत्रा, क्या कुछ बोलीं?

नईदिल्ली : टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने शुक्रवार (8 दिसंबर) को लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित किए जाने के बाद अपने पूर्व पार्टनर को लेकर नाराजगी दिखाई. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, ”दो शिकायतकर्ताओं में से एक मेरा पूर्व प्रेमी था, जो गलत इरादे से आचार समिति के सामने आम नागरिक के रूप में पेश हुआ.”

बता दें कि महुआ मोइत्रा वकील जय अनंत देहाद्राई के साथ कभी रिश्ते में थीं और बाद में उनका ब्रेकअप हो गया था. जय अनंत देहाद्राई से प्राप्त हुए पत्र के आधार पर ही बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया था.

पत्र के हवाले से दावा किया गया था कि महुआ मोइत्रा और रियल एस्टेट समूह हीरानंदानी समूह के सीईओ दर्शन हीरानंदानी के बीच रुपये के आदान-प्रदान के साक्ष्य मिले हैं. हालांकि, महुआ ने आरोपों से इनकार किया था.

संसद में नहीं मिला मौका, महुआ मोइत्रा ने मीडिया के सामने रखी बात 

लोकसभा में एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान उदाहरणों का हवाला देते हुए महुआ मोइत्रा को बोलने की अनुमति नहीं दी गई थी. निष्कासन के बाद महुआ मोइत्रा ने मीडिया से बात करते हुए वह भाषण पढ़ा जिसके बारे में उन्होंने कहा कि उसे सदन के पटल पर रखा जाना था.

उस दौरान पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत विपक्षी गठबंधन इंडिया के कई नेता मौके पर मौजूद थे. उसी दौरान महुआ मोइत्रा ने अपनी बात कहते हुए अपने पूर्व प्रेमी का भी जिक्र कर दिया. 

पूर्व प्रेमी को लेकर क्या बोलीं महुआ मोइत्रा?

महुआ मोइत्रा ने कहा कि दो शिकायतकर्ताओं में से एक उनका अलग हुआ पार्टनर था जिसने गलत इरादे से एथिक्स पैनल के सामने एक आम नागरिक का मुखौटा लगाया हुआ था.

मोइत्रा ने कहा, ”निष्कर्ष पूरी तरह से दो निजी नागरिकों की लिखित गवाही पर आधारित हैं, जिनके वर्जन भौतिक दृष्टि से एक-दूसरे के विरोधाभासी हैं, जिनमें से किसी से भी मुझे जिरह करने की अनुमति नहीं दी गई.” उन्होंने कहा कि उन पर कार्रवाई के लिए जिन दो गवाहियों का इस्तेमाल किया गया है, वे बिल्कुल विपरीत हैं.

‘दर्शन हीरानंदानी को नहीं भेजा समन’

महुआ मोइत्रा ने कहा, ”शिकायतकर्ता का कहना है कि मैंने एक व्यवसायी के व्यावसायिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए प्रश्न पूछने के लिए उससे नकद और विमर्श स्वीकार किया लेकिन व्यवसायी के स्वत: संज्ञान वाले हलफनामे में कहा गया है कि मैंने मेरे एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए उस पर सवाल अपलोड करने के लिए दबाव डाला.”

मोइत्रा ने कहा, ”एथिक्स पैनल मुद्दे की जड़ तक नहीं गया और उनके खिलाफ आरोप लगाने वाले व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी को समन नहीं भेजा. निष्कासन की सिफारिश केवल इस आधार पर हुई कि मैंने अपना लोकसभा लॉगिन क्रेडेंशियल साझा किया था. लॉगिन साझा करें या नहीं, इसे नियंत्रित करने के लिए कोई भी नियम नहीं है.”

उन्होंने कहा कि एथिक्स कमेटी की सुनवाई से पता चलता है हम सभी सांसद नागरिकों, जनता से सवाल पूछने और संसद में आवाज उठाने के लिए कन्वेयर बेल्ट हैं.