छत्तीसगढ़

लाडली बहनों के मामा को नहीं मिला सीएम का पद, शिवराज सिंह चौहान के लिए अब सियासत की जमीन सख्त

भोपाल : छत्तीसगढ़ के बाद बीजेपी ने अब मध्य प्रदेश में भी नए मुख्यमंत्री का ऐलान कर दिया है. पार्टी ने मोहन यादव को राज्य की जिम्मेदारी दी है. इसके साथ ही एमपी में मुख्यमंत्री को लेकर बना सस्पेंस भी खत्म हो गया है. सूत्रों के मुताबिक, विधायक दल की बैठक में शिवराज सिंह चौहान ने ही मोहन यादव का नाम पद के लिए आगे किया था.

अब जबकि शिवराज सिंह के पास राज्य की कमान नहीं है तो सवाल भी उठने लगे हैं कि आखिर लाडली बहनों के मामा का क्या होगा? क्या वह अभी भी राज्य की राजनीति में सक्रिय रहेंगे या फिर उन्हें पार्टी हाई कमान दिल्ली बुलाएगा. हालांकि, शिवराज पहले ही कह चुके हैं वह दिल्ली नहीं जाना चाहते.

पीएम मोदी को देना चाहते हैं तोहफा

शिवराज सिंह चौहान ने चुनावों के तत्काल बाद कहा कि यह वक्त दिल्ली नहीं छिंदवाड़ा जाने का है. उन्होंने कहा कि 2019 में बीजेपी ने प्रदेश की 29 में से 28 सीटें जीती थी और छिंदवाड़ा सीट पर उसे हार मिली था. वह अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रदेश की 29वीं सीट का तोहफा देना चाहते हैं.

सीएम की रेस से खुद को किया था अलग
विधानसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद शिवराज सिंह ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि वह सीएम पद की रेस में नहीं हैं और मेरा पद मामा का है. ऐसे में यह अटकलें हैं कि उन्हें दिल्ली बुलाया जा सकता है और उन्हें केंद्र सरकार में मंत्री पद भी मिल सकता है. 

केंद्र में मिल सकती है जिम्मेदारी
दरअसल, मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद सिंह पटेल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है. यानी यह तय है कि दोनों नेता मध्य प्रदेश की राजनीति में ही सक्रिय रहेंगे. ऐसे में शिवराज सिंह को इन नेताओं की जगह मंत्री बनाया जा सकता है.

2018 में राष्ट्रीय सदस्यता अभियान समिति की जिम्मेदारी संभाली
वैसे यह पहला मौका नहीं है, जब शिवराज सिंह चौहान को संगठन में कोई बड़ा पद या मंत्रालय मिलने के कयास लगाए जा रहे हैं. इससे पहले 2018 में जब कांग्रेस ने राज्य में सरकार बनाई थी तो उन्हें पार्टी ने राष्ट्रीय सदस्यता अभियान समिति की जिम्मेदारी सौंपी थी.