नईदिल्ली : महेन्द्र सिंह धोनी को टीम इंडिया की कप्तानी क्यों मिली? जबकि उस टीम में युवराज सिंह सीनियर थे, वहीं माही उनसे जूनियर थे. हालांकि, उस भारतीय टीम में सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण जैसे खिलाड़ी थे. युवराज सिंह के बजाय महेन्द्र सिंह धोनी को कप्तान क्यों बनाया गया? इस पर युवराज सिंह ने बयान दिया है. पूर्व भारतीय क्रिकेटर संजय मांजरेकर के साथ बातचीत में युवराज सिंह ने बताया कि माही को बतौर कप्तान क्यों चुना गया? युवी ने कहा कि सचिन तेंदुलकर और ग्रेग चैपल के कारण वह टीम इंडिया के कप्तान नहीं बने.
मैं अपने टीम मेट के साथ खड़ा था, जिसकी मुझे सजा मिली’
युवराज सिंह ने कहा कि मैं अपने टीम मेट के साथ खड़ा था, जिसकी मुझे सजा मिली. इसके अलावा बीसीसीआई के कई अधिकारियों से तवज्जों नहीं मिली. हालांकि, युवी ने साफ तौर पर कहा कि मुझे कप्तान नहीं बनने का कोई पछतावा नहीं है. मुझे लगता है कि मेरा स्टैंड क्लीयर था. अगर ऐसा फिर करना पड़ा तो मैं करूंगा, मैं खड़ा रहूंगा, मुझे अपने फैसले पर कोई पछतावा नहीं है.
‘मेरी तमन्ना थी कि मैं कप्तान बनूं…’
संजय मांजरेकर ने युवराज सिंह से पूछा कि क्या आपकी ख्वाहिश नहीं थी कि टीम इंडिया का कप्तान बनूं? इस सवाल के जवाब में युवराज सिंह ने कहा कि मेरी तमन्ना थी कि मैं कप्तान बनूं… मुझे लगता था कि मैं कप्तान बनूंगा, लेकिन जब ग्रेग चैपल विवाद हुआ, उस वक्त मेरे पास 2 विकल्प थे, ग्रेग चैपल का साथ दूं या अपने टीम मेट का… मैंने अपने टीम मेट का साथ दिया. लेकिन बीसीसीआई के कई अधिकारियों को मेरा फैसला पसंद नहीं आया. जिसके बाद उन्होंने कहा कि वह मेरे अलावा बाकी किसी भी प्लेयर को कप्तान बना सकते हैं. ऐसा मैंने सुना… मुझे नहीं पता कि इन बातों में कितनी सच्चाई है.
‘…फिर माही को टी20 वर्ल्ड कप 2007 के लिए कप्तान बना दिया’
युवराज सिंह ने कहा कि मुझे अचानक वाइस-कैप्टन से हटा दिया गया, उस वक्त वीरेन्द्र सहवाग टीम में नहीं थे. फिर माही को टी20 वर्ल्ड कप 2007 के लिए कप्तान बना दिया गया. मुझे लगता कि उस वक्त फैसला मेरे खिलाफ गया. लेकिन मुझे कोई पछतावा नहीं है. अगर आज फिर से हालात वैसे हो जाएं, तो मैं वहीं करूंगा, अपने टीम मेट के साथ फिर से खड़ा रहूंगा.