छत्तीसगढ़

राजस्थान में वसुंधरा राजे को कमान या फिर 2024 के चुनाव के लिए चौंकाएगा बीजेपी का कोई नया नाम?

नईदिल्ली : चुनाव नतीजों के आठ दिन बाद छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में सीएम के नाम पर सस्पेंस खत्म हो चुका है, लेकिन राजस्थान में मुख्यमंत्री को लेकर माथापच्ची जारी है. इस बीच वसुंधरा राजे की जिद ने बीजेपी आलाकमान की टेंशन बढ़ा दी है. हाईकमान की नजर राजस्थान में किसी नए चेहरे पर है, लेकिन वो चेहरा कौन होगा ये अभी साफ नहीं है. माना जा रहा है कि आज राजस्थान में होने वाली विधायक दल की बैठक में नए सीएम की तस्वीर साफ हो जाएगी.

राजस्थान को लेकर बड़ा सवाल ये है कि क्या यहां वसुंधरा की जिद के आगे बीजेपी आलाकमान झुकेगा या फिर छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की तरह नए चेहरे पर दांव लगाया जाएगा. हालांकि मध्य प्रदेश में जिस तरह चार बार सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान को पार्टी ने पीछे छोड़कर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए मोहन यादव को मौका दिया है, उससे लग रहा है कि राजस्थान को भी कोई नया चेहरा मिल सकता है.  

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए समीकरण बना रही बीजेपी

पांच राज्यों में चुनाव के बाद बीजेपी अभी से अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मोड में आ गई है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मिली कामयाबी ने उसे बूस्टर डोज दे दिया. ऐसे में बीजेपी इन तीनों राज्यों के जरिये 2024 के जातिगत समीकरण को साधने में लग गई है. वह हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति बना रही है.

छत्तीसगढ़ के जरिये आदिवासी वोटरों पर साधा निशाना

वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने आदिवासी समुदाय से आने वाले विष्णुदेव साय को छत्तीसगढ़ का सीएम बनाया है. दरअसल, छत्तीसगढ़ की कुल आबादी करीब 2.75 करोड़ है. इसमें से 34 फीसदी आदिवासी वोटर्स हैं. विधानसभा चुनाव में आदिवासियों के लिए 29 सीटें रिजर्व हैं. इन 29 सीटों को छोड़कर भी कई ऐसी सीटें हैं जहां आदिवासी वोटर्स हार-जीत में अहम फैक्टर निभाते हैं. छत्तीसगढ़ में लोकसभा की 11 सीटों में से चार सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. छत्तीसगढ़ की सियासत में ऐसा कहा जाता है कि आदिवासी वोटर जिस पार्टी के साथ जाता है उसी की सरकार बनाती है.

मध्य प्रदेश में मोहन यादव को सीएम बनाकर ओबीसी वोट पर नजर

इसी तरह मध्य प्रदेश में बीजेपी ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर ओबीसी वर्ग को अपने साथ लाने की कोशिश की है. देश की कुल आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी 42 प्रतिशत है. मंडल कमिशन के मुताबिक ये आंकड़ा 52 फीसद है. लोकसभा की कई सीटों पर ओबीसी वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. पिछले डेढ़ दशक के दौरान ओबीसी वोटर का बीजेपी को अच्छा समर्थन मिला है. सर्वे के मुताबिक, 1996 में बीजेपी को महज 19 पर्सेंट ओबीसी वोट मिले थे, लेकिन 2014 में ये बढ़कर 34 प्रतिशत और 2019 में 44 प्रतिशत तक पहुंच गया. 2024 में बीजेपी लगातार तीसरी बार देश की सत्ता पर विजयी होने की तैयारी में हैं. ऐसे में ओबीसी वोटर बड़ा विनिंग फैक्टर हो सकता है.

राजस्थान में वसुंधरा राजे की जिद से बिगड़ सकता है पूरा खेल

राजस्थान में भी बीजेपी इसी जातिगत समीकरण को साधने की कोशिश करेगी, लेकिन यहां उसके लिए राह इतनी आसान नहीं है. वसुंधरा राजे जिस तरह जिद पर अड़ी हैं, उससे नए नाम को लेकर संशय लग रहा है. यहां पार्टी के सामने बगावत का भी डर है. जयपुर में वसुंधरा राजे लगातार अपने समर्थक विधायकों से मुलाकात कर रही हैं. दिल्ली से लौटने के बाद से वसुंधरा समर्थक उनसे मिलने पहुंच रहे हैं. रविवार और सोमवार को भी उनसे कई विधायक मिलने पहुंचे थे. जयपुर में वसुंधरा राजे के घर से आती मुलकातों की तस्वीरों ने दिल्ली में बीजेपी हाईकमान के माथे पर भी शिकन ला दी थी. खबर है नड्डा ने कॉल कर वसुंधरा को विधायकों से न मिलने की सलाद दी है, लेकिन वसुंधरा राजे ने उनके सामने अनोखी मांग रख दी है. उन्होंने एक साल के लिए सीएम पद मांगा है. सूत्रों ने ये भी बताया है कि हाईकमान ने वसुंधरा को स्पीकर बनाने की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया.