नईदिल्ली : छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद जिस तरह से तीनों ही राज्यों में सीएम के नाम का ऐलान किया गया है, उससे हर कोई हैरान है. अब सवाल उठता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सीएम सरप्राइज से क्या बदलेगा? ऐसी क्या वजह है जो पीएम मोदी ने हर किसी को चौंकाते हुए ऐसे चेहरों को मुख्यमंत्री की कमान सौंप दी, जिन्हें खुद भी इसका अहसास तक नहीं था.
इन सभी नए चेहरों के पीछे की सबसे बड़ी ताकत है साल 2024 में होने वाला लोकसभा चुनाव. यही नहीं बीजेपी राज्यों में नए चेहरों को आगे कर पीढ़ी गत बदलाव भी कर रही है. जिस बीजेपी को पहले ब्राह्मण-बनिया की पार्टी कहा जाता था, उसमें अब अगड़ा, पिछड़ा, महिला, ओबीसी, दलित और आदिवासी यानी सबकी जगह है. पार्टी में बदलाव की कवायद चल रही है. ऐसे सरप्राइज से राज्यों में जमे दिग्गज नेताओं की गुटबाजी भी एक झटके में खत्म हो गई. पीएम मोदी के इस दांव ने कार्यकर्ताओं में असंतोष का भाव भी मिटा दिया है. राज्यों में केंद्र से प्रशिक्षित नेता भेज कर पॉलिटिकल और एडमिनिस्ट्रेटिव वर्ककल्चर यानी राजनीतिक और प्रशासनिक कार्य संस्कृति बदलना भी सरप्राइज देने का एक बड़ा मकसद है. बड़ी बात ये भी है कि इस तरह का सरप्राइज इनकंबेंसी कटर का भी काम करता है.
प्रधानमंत्री मोदी ने 3 राज्यों में दिया सरप्राइज
छत्तीसगढ़ में चर्चा ओपी चौधरी और रमन सिंह समेत कुछ अन्य नेताओं की थी, लेकिन सीएम बने आदिवासी नेता विष्णुदेव साय. वहीं मध्य प्रदेश में चर्चा में थे शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर और कैलाश विजयवर्गीय, लेकिन सीएम बने मोहन यादव. इन दोनों राज्यों में हुए बदलाव के बाद हर किसी की नजर राजस्थान पर थी. राजस्थान में चर्चा तो वसुंधरा राजे और दीया कुमारी समेत कुछ अन्य नाम की चल रही थी, लेकिन सीएम की कुर्सी भजन लाल शर्मा को दे दी गई है.
जातिगत समीकरण साधने में कामयाब हुई बीजेपी
- तीनों ही राज्यों में भले ही मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चा हो रही हो लेकिन इस बदलाव के साथ ही पार्टी ने तीनों ही राज्यों में जातिगत समीकरण को साधने का काम किया है. मध्य प्रदेश में बीजेपी ने OBC नेता मोहन यादव को सीएम बनाया है, तो ब्राह्मण राजेंद्र शुक्ल और दलित जगदीश देवड़ा को डिप्टी सीएम बनाया गया है. वहीं नरेंद्र सिंह तोमर को स्पीकर बनाने का फैसला लिया गया है. इन चार चेहरों से बीजेपी ने ओबीसी, दलित और सवर्ण को साध लिया है.
- छत्तीसगढ़ की बात करें तो वहां आदिवासी विष्णुदेव साय को सीएम बनाया गया है. ओबीसी अरुण साव और ब्राह्मण विजय शर्मा को डिप्टी सीएम बनाया गया है, जबकि रमन सिंह को स्पीकर बनाया गया है. इन चार चेहरों से बीजेपी ने आदिवासी, ओबीसी और सवर्ण को साधने की कोशिश की है.
- राजस्थान की बात करें तो ब्राह्मण भजन लाल शर्मा को सीएम, अनुसूचित जाति से आने वाले प्रेमचंद बैरवा और राजपूत दीया कुमारी की डिप्टी सीएम बनाने का फैसला हुआ है. जबकि सिंधी समाज से आने वाले वासुदेव देवनानी स्पीकर होंगे. यहां भी सवर्ण और दलित को साधने की कोशिश की गई है.
2024 पर पीएम मोदी का फोकस
बीजेपी का फोकस हमेशा से ही महिला, एससी, एसटी, ओबीसी और सवर्ण वोट बैंक पर रहा है. 2019 में 46% महिलाओं ने बीजेपी गठबंधन को, 27% ने कांग्रेस गठबंधन और 27% ने अन्य को वोट दिया. जबकि अनुसूचित जाति के 41% लोगों ने बीजेपी गठबंधन को, 26% लोगों ने कांग्रेस गठबंधन और 33% ने अन्य को वोट दिया.अनूसूचित जनजाति के 46% लोगों ने बीजेपी गठबंधन को, 37% ने कांग्रेस गठबंधन और 17% ने अन्य को वोट दिया.वहीं, ओबीसी की बात करें तो 54% ने बीजेपी गठबंधन को, 22% ने कांग्रेस गठबंधन को और 24% ने अन्य को वोट दिया. 2019 में सवर्णों में 59% ने बीजेपी गठबंधन, 17% ने कांग्रेस गठबंधन और 24% ने अन्य को वोट दिया.
बीजेपी के सरप्राइज फैक्टर का क्या है फॉर्मूला
2024 के लिए बीजेपी का प्लान तैयार है. आपके मन में सवाल उठेगा कि बीजेपी ने अयोध्या में राम मंदिर, जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने और तीन तलाक के खात्मे जैसे अपने कोर मुद्दों को पूरा कर दिया है. ऐसे में 2024 के चुनाव में बीजेपी का एजेंडा क्या होगा? तो अबकी बार सबसे बड़ा मुद्दा ‘विकसित भारत’ का संकल्प है. इसका मकसद 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाना और 2024 के चुनाव में मोदी सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों को वोटर बनाना है. 2024 के चुनाव से पहले बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता घर-घर जाकर मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और तय समय के अंदर उन्हें एक-एक लाभार्थी तक पहुंचाने की कहानी बता रहे हैं.
योजनाओं से बना जीत का समीकरण
- एमपी में लाडली लक्ष्मी योजना के चलते 42% लाभार्थियों ने कांग्रेस के पक्ष में वोट किया तो 49% ने बीजेपी को वोट दिया.
- वहीं, लाडली बहना योजना की 42 फीसदी लाभार्थियों ने कांग्रेस को वोट दिया तो 48% ने बीजेपी के पक्ष में वोट दिया.
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की 37% लाभार्थियों ने कांग्रेस को वोट दिया तो 54% ने बीजेपी को वोट दिया.
- आयुष्मान भारत योजना के 39 फीसदी लाभार्थियों ने कांग्रेस को तो 50% ने बीजेपी को वोट दिया.
- प्रधानमंत्री आवास योजना के 35% लाभार्थियों ने कांग्रेस को वोट दिया तो 57% ने बीजेपी को वोट दिया.
- उज्ज्वला योजना की 41% लाभार्थियों ने कांग्रेस को वोट दिया तो 51% ने बीजेपी को वोट दिया.