छत्तीसगढ़

354 करोड़ के बाद भी क्या अब भी धीरज साहू के घर छुपी हुई है दौलत? इस तकनीक से जमीन-दीवार खोदेगी इनकम टैक्स की टीम

नईदिल्ली : आज पूरे देश में जिस शख्स की चर्चा सबसे अधिक है, वे हैं कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू. ऐसा करप्शन किंग जिसका परिवार तो स्वतंत्रता सेनानी रहा, लेकिन सालों से अपनी काली कमाई के जरिए देश के खजाने को चूना लगाता रहा. ओडिशा के बलांगीर में धीरज साहू का पुश्तैनी आवास है. और यहीं है उसकी शराब फैक्ट्री, जिसका नाम है बौद्ध डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड. इसी कंपनी के दफ्तर में नोटों के अम्बार छिपाकर रखने के जो नजारे सामने आए हैं, वे पूरे देश को हैरान करने वाले हैं.

सरकारी दफ्तरों में आपने फाइलों पर धूल जमे हुए तो बहुत देखा होगा, लेकिन धीरज के बलांगीर की इसी कंपनी के दफ्तर में छिपाकर रखी गई नगदी का ऐसा अंबार लगा था कि नोटों पर धूल चढ़ गई थी. आयकर विभाग की छापेमारी के बाद इन नोटों की बरामदगी के जो वीडियो सामने आए हैं, उसमें देखा जा सकता है कि अधिकारी कपड़े के जरिए नोटों पर पड़ी धूल को झाड़ रहे थे.

दीवारों में भी दबी हो सकती है दौलत 

अब केंद्रीय एजेंसी के सूत्रों ने बताया है कि उसने न केवल घर और दफ्तर में, बल्कि अपने आलीशान ठिकानों की दीवारों में भी गुप्त केविन बनाकर रुपये छिपाए हो सकते हैं. अब इसकी जांच के लिए इनकम टैक्स के अधिकारी अत्याधुनिक तकनीक की मदद लेने जा रहे हैं. आईटी के सूत्रों ने बताया है कि जिओ सर्विलांस सिस्टम के जरिए उसके घर, दफ्तर और अन्य ठिकानों की दीवारों और जमीन को भी परखा जाएगा.

कहीं उसने मिट्टी खोदकर दौलत तो नहीं छुपाई? दीवारों से भी नोटों की बारिश हो सकती है, ऐसा अंदेशा इनकम टैक्स को है. केंद्रीय एजेंसी को यूं ही ऐसे संदेह नहीं होते. बल्कि इसके पीछे पुख्ता साक्ष्य भी है. इसीलिए अब इनकम टैक्स के अधिकारी जिओ सर्विलांस सिस्टम की मशीन लेकर पहुंचे हैं. यह मशीन जमीनों और दीवार में छुपाई गई धन संपदा का पता लगाने में सक्षम है.

पड़ोसियों को पहले से ही था शक, बताई चौंकाने वाली कहानी

उसके ठिकाने से अब तक 354 करोड़ रुपये नगदी बरामद हो चुके हैं, जिनमें से 300 करोड़ अकेले बलांगीर की शराब कंपनी के दफ्तर से बरामद हुए हैं. यही पास में उसकी पुश्तैनी हवेली है, हालांकि अब यह जर्जर हो चुकी है क्योंकि 1954 में साहू खानदान ने यह हवेली बनाई थी. साहू की हवेली के पास विनायक मिश्रा रहते हैं. वह कहते हैं कि सालों से आबकारी विभाग को इस परिवार के शराब कारोबार के बारे में शिकायतें की जाती रही है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. विनायक कहते हैं कि 2021 के अक्टूबर महीने में उन्होंने आरटीआई की थी.

बौद्ध डिस्टलरी प्राइवेट कंपनी का मैनेजर राजेश साहू है, जिसके ठिकाने से 285 करोड़ रुपये मिले हैं. एक और पड़ोसी हैं सिद्धार्थ मिश्रा. पेशे से वकील हैं. वह साहू की हवेली के ठीक बगल में रहते हैं. उनका कहना है कि पड़ोसी साहू अंपायर के काले कारोबार के बारे में तो यहां लोग बखूबी जानते थे लेकिन अब पूरा देश जान रहा है.