छत्तीसगढ़

इंदिरा से मोदी शासन तक… संसद में सबसे ज्यादा सस्पेंड होने वाले ये 5 सांसद कौन हैं?

नईदिल्ली : भारत में सांसदों का निलंबन शब्द पिछले 4 दिनों से सुर्खियों में है. लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर अब तक 146 सांसद सस्पेंड किए जा चुके हैं. निलंबित हुए सभी सांसद विपक्षी इंडिया गठबंधन के हैं.सभी सांसदों को सदन में व्यवधान उत्पन्न करने और संसद की मर्यादा तोड़ने के आरोप में निलंबित किया गया है. राज्यसभा के 11 सांसदों का मामला प्रिविलेज कमेटी के पास भी भेजा गया है.

संसद के इतिहास में यह पहला मौका नहीं है, जब सांसदों को संसद की गरिमा और व्यवधान उत्पन्न करने के आरोप में सस्पेंड किया गया हो. नेहरू के जमाने में पहली बार गोदे मुराहारी को 1962 में पहली बार राज्यसभा से निलंबित किया गया था. 1966 में फायरब्रांड नेता राज नारायण को प्रस्ताव के जरिए संसद से निलंबित किया गया था. राज नारायण देश के पहले ऐसे सांसद थे, जिन्हें 4 बार सदन से निलंबित किया गया था.

राज्यसभा और लोकसभा से कैसे निलंबित होते हैं सांसद?

 लोकसभा में स्पीकर सांसदों को निलंबित करते हैं, राज्यसभा में यह काम सभापति के द्वारा किया जाता है.

 स्पीकर और सभापति प्रस्ताव के जरिए सदस्य को निलंबित करते हैं. प्रस्ताव संसदीय कार्यमंत्री या नेता सदन ला सकते हैं.

 लोकसभा में नियम 373, नियम 374 और नियम 374-ए के तहत सांसदों को निलंबित किया जाता है.

 राज्यसभा में सांसदों को निलंबित करने के लिए नियम 255 और नियम 256 का उपयोग किया जाता है. 

कहानी सबसे ज्यादा सस्पेंड होने वाले सांसदों की

1. राज नारायण- ‘राज्यसभा एट वर्क’ के मुताबिक राज नारायण 70 के दशक में 4 बार निलंबित किए जाने वाले एक मात्र सांसद थे. राज्यसभा से राज नारायण को 1966, 1967, 1971 और 1974 में संसद से निलंबित किया गया था. 

उस दौर में इंदिरा गांधी की सरकार काफी मजबूत स्थिति में थी और विपक्ष पूरी तरह से बिखरा हुआ था. इंदिरा गांधी के धुर-विरोधी राज नारायण उस वक्त सोशलिस्ट पार्टी के बड़े नेता माने जाते थे.

 1966 में सदन के नेता एमसी छागला ने पहली बार राज नारायण के निलंबन का प्रस्ताव लाया था. 

 1967 में राज नारायण के निलंबन का प्रस्ताव तत्कालीन सदन के नेता जय सुखलाल हाथी ने लाया था.
 
 1971 में इंदिरा सरकार के संसदीय कार्यमंत्री ओम मेहता ने राज नारायण के निलंबन का प्रस्ताव लाया.

 1974 में संसदीय कार्य राज्य मंत्री ने राज नारायण के निलंबन का प्रस्ताव राज्यसभा में रखा.

1974 में राज्यसभा से निलंबन के कुछ महीने बाद ही राज नारायण गिरफ्तार कर लिए गए. उन्हें मीसा कानून के तहत 2 साल जेल में रखा गया. जब सभी विपक्ष के नेता 1977 में छोड़े गए, तो राज नारायण भी जेल से बाहर आए.

1977 के लोकसभा चुनाव में राज नारायण ने जनता पार्टी के सिंबल से इंदिरा गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा. उन्हें इस चुनाव में कामयाबी भी मिली. राज नारायण पहली बार रायबरेली सीट से इंदिरा को हराकर लोकसभा पहुंचे.

2. डोला सेन- संसद में सबसे ज्यादा बार निलंबित होने वाले सांसदों की लिस्ट में तृणमूल कांग्रेस के डोला सेन का भी नाम है. डोला सेन वर्तमान में पश्चिम बंगाल से राज्यसभा की सांसद हैं. 2020 से अब तक डोला 4 बार राज्यसभा से सस्पेंड हो चुकी हैं.

2020 में कृषि कानून विधेयक पर बहस के दौरान डोला समेत 8 सांसदों ने जमकर बवाल काटा था, जिसके बाद सभी 8 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था. सेन का आरोप था कि कृषि कानून को लेकर राज्यसभा के उपसभापति सेन का आरोप था कि गलत तरीके से वोटिंग कराई.

सेन को इसके बाद 2021 के मानसून सत्र, 2021 के शीतकालीन सत्र और 2022 के मानसून सत्र में संसद से निलंबित किया. 

56 साल की डोला सेन की संसद में उपस्थिति मात्र 56 प्रतिशत है. हालांकि, सेन की भागीदारी काफी ज्यादा है. सेन अब तक 219 डिबेट में भाग ले चुकी हैं.

3. मणिकम टैगोर- कांग्रेस के मणिकम टैगोर भी 2020 से अबतक 4 बार संसद से निलंबित हो चुके हैं. टैगोर को 2020 के बजट सत्र के दौरान निलंबित किया गया था. 

2021 और 2022 के मानसून सत्र में भी टैगोर संसद से निलंबित हुए. हाल ही में जब संसद की सुरक्षा का मसला उठा, तो निलंबन की पहली सूची में ही टैगोर का नाम था.

राहुल गांधी के करीबी टैगोर तमिलनाडु के विरुधनगर सीट से सांसद हैं. पीआरएस लेजेस्लेटिव के मुताबिक संसद में टैगोर की उपस्थिति 89 प्रतिशत हैं. टैगोर 92 डिबेट में भाग ले चुके हैं. 
 
4. डेरेक ओ ब्रायन- फायरब्रांड नेता डेरेक ओ ब्रायन भी संसद से 4 बार निलंबित हो चुके हैं. 2020 में ब्रायन ने कागज फाड़कर सभापति पर फेंक दिया था. डेरेक 2021, 2022 और 2023 में भी संसद से निलंबित हो चुके हैं.

डेरेक राज्यसभा में तृणमूल संसदीय दल के नेता भी हैं. ब्रायन को ममता बनर्जी का काफी करीबी माना जाता है. तृणमूल को मीडिया और सोशल मीडिया में लाने का श्रेय भी बंगाल के राजनीतिक गलियारों में ब्रायन को ही दिया जाता है.

2004 में राजनीति में आने वाले ब्रायन ने अपने करियर की शुरुआत पत्रकारिता से की थी. 2011 में उन्हें तृणमूल ने पहली बार राज्यसभा भेजा था. ब्रायन भारत के पहले एंग्लो-इंडियन सांसद हैं, जिन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में वोट डाला था. 

5. संजय सिंह- जेल में बंद आप सांसद संजय सिंह भी 3 बार निलंबित हो चुके हैं. सिंह को पहली बार कृषि विधेयक 2020 पर चर्चा के दौरान राज्यसभा से निलंबित किया गया था. सिंह पर तब माइक तोड़ने और कागज फाड़ने का भी आरोप लगा था. 

सिंह 2022 के मानसून सत्र और 2023 के मानसून सत्र में भी निलंबित किए गए थे. 2023 के मानसून सत्र में उन्होंने गुजरात में ड्रग्स और शराब जैसे मुद्दों पर जमकर बवाल काटा था. 

आप के संस्थापक सदस्य संजय सिंह 2018 में राज्यसभा के लिए चुने गए थे. सिंह हाल के दिनों तक राज्यसभा में आप संसदीय दल के नेता भी थे. जेल जाने की वजह से आप ने राघव चड्ढा को इस पद पर बैठाया है.

सिंह को इसी साल मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया है. फिलहाल वे तिहाड़ जेल में बंद हैं.

इंदिरा के दौर में 7 तो मोदी के दौर में 255 सांसद सस्पेंड
इंदिरा गांधी के दौर में 7 सांसद निलंबित हुए थे. राजीव शासन में यह आंकड़ा 63 का था. मनमोहन के 10 साल में 59 तो मोदी के 9 साल में 255 सांसद सस्पेंड हुए.

इंदिरा और राजीव गांधी के समय में सिर्फ विपक्ष के सांसद ही सस्पेंड किए गए. मनमोहन के कार्यकाल में निलंबित होने वाले 59 में से 28 सांसद कांग्रेसी थे. 2 बीजेपी के सांसद भी सस्पेंड हुए थे. इसी तरह मोदी के कार्यकाल में सस्पेंड होने वाले 255 में से एक भी सांसद बीजेपी के नहीं हैं. मोदी काल में कांग्रेस, तृणमूल और डीएमके के सांसद सबसे ज्यादा निलंबित हुए हैं.