छत्तीसगढ़

संसद सुरक्षा उल्लंघन की आरोपी नीलम आजाद पहुंची हाई कोर्ट, पुलिस रिमांड को बताया अवैध

नईदिल्ली : संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले में 13 दिसंबर को गिरफ्तार की गई आरोपी नीलम आजाद ने बुधवार (27 दिसंबर) को दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और आरोप लगाया कि उसकी पुलिस रिमांड अवैध थी. नीलम ने कहा कि उस ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही के दौरान अपना बचाव में उसके पसंद के वकील से परामर्श करने की अनुमति नहीं दी गई थी.

रिट की मांग करने वाली अपनी याचिका में नीलम ने कहा कि उसे अपनी पसंद के वकील से परामर्श करने की अनुमति नहीं देना संविधान के तहत उसके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. इससे उसकी रिमांड का आदेश को गैरकानूनी हो जाता है.

गौरतलब है कि ट्रायल कोर्ट ने उसे 5 जनवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है. नीलम की याचिका गुरुवार (28 दिसंबर) को हाईकोर्ट की अवकाश पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए पेश किया जा सकता है.

दायर की जा सकती है बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका 
भारतीय कानूनों के तहत अगर किसी बंदी को लगता है कि उसे अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है तो वह बंदी या उसकी ओर से अन्य कोई व्यक्ति उसकी पेशी के लिए हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas Corpus Plea) दायर कर सकता है. ऐसे में अगर अदालत यह निष्कर्ष निकालती है कि उसकी हिरासत अवैध है, तो कोर्ट उसकी रिहाई का आदेश दे सकती है.

याचिका में कहा गया है कि उसकी गिरफ्तारी के बाद उसके परिवार को सूचित नहीं किया गया. इसके अलावा उसे वकीलों सहित किसी भी व्यक्ति से मिलने की अनुमति नहीं दी गई. वकील सुरेश कुमार के माध्यम से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि अदालत में भी किसी भी आरोपी को वकील चुनने की इजाजत नहीं दी और सबके लिए एक वकील नियुक्त किया गया.

‘रिमांड आदेश अवैध’
याचिका में कहा गया है कि  21 दिसंबर 2023 का रिमांड आदेश अवैध है और भारत के संविधान के अनुच्छेद 22(1) का उल्लंघन है, जो आरोपी व्यक्ति को अपनी पसंद के वकील रखने का आदेश देता है.  याचिका में यह भी कहा गया कि उसे गिरफ्तारी के 29 घंटे के बाद 14 दिसंबर को ट्रायल कोर्ट में पेश किया गया था.

याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 22(2) में कहा गया है कि गिरफ्तार किए गए और हिरासत में लिए गए हर शख्स को गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा. 

ट्रायल कोर्ट के आदेश पर लगाई थी रोक
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें दिल्ली पुलिस को संसद में हाल ही में सुरक्षा उल्लंघन के मामले में गिरफ्तार आरोपी नीलम आजाद को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA Act) के तहत दर्ज एफआईआर की कॉपी देने का निर्देश दिया गया था.

13 दिसंबर को 2001 के संसद आतंकवादी हमले की बरसी पर कुछ लोग संसद में घुस गए थे. इनमें से दो सागर शर्मा और मनोरंजन डी शून्यकाल के दौरान पब्लिक गैलरी से लोकसभा कक्ष में कूद गए और फिर स्मोक स्टिट जलाई. लगभग उसी समय दो अन्य लोगों अमोल शिंदे और नीलम आजाद  ने भी संसद भवन परिसर के बाहर तानाशाही नहीं चलेगी चिल्लाते हुए स्मोक स्टिक जला दी थी.