नईदिल्ली : सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इलाहाबाद, राजस्थान, गौहाटी, पंजाब और हरियाणा और झारखंड के हाई कोर्ट के लिए नए चीफ जस्टिस (सीजे) की नियुक्ति की सिफारिश की है.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना और बीआर गवई की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने इस संबंध में प्रस्ताव पारित किए हैं, जिन्हें गुरुवार (28 दिसंबर) शाम आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किया गया.
कॉलेजियम ने इन लोगों के नामों की सिफारिश की
राजस्थान हाई कोर्ट के जस्टिस अरुण भंसाली को इलाहाबाद हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त करने की सिफारिश केंद्र सरकार से की गई है. वहीं, राजस्थान हाई कोर्ट के ही जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव को इस हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्ति के लिए सिफारिश की गई है.
राजस्थान हाई कोर्ट के जस्टिस विजय बिश्नोई को गौहाटी हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस शील नागू को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस और ओडिशा हाई कोर्ट के जस्टिस बीआर सारंगी को झारखंड हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त करने की सिफारिश की गई है.
1200 से ज्यादा फैसले दे चुके हैं जस्टिस अरुण भंसाली
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस अरुण भंसाली को लेकर सिफारिश में कहा है, ”जहां तक मामलों के निपटारे के माध्यम से न्यायपालिका में उनके योगदान का संबंध है, हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपने लगभग ग्यारह वर्षों के कार्यकाल के दौरान उन्होंने 1230 से ज्यादा कथित निर्णय लिखे हैं.
उन्होंने राजस्थान हाई कोर्ट में न्याय प्रदान करने में व्यापक अनुभव प्राप्त किया है. उन्हें ठोस कानूनी कौशल वाला एक सक्षम न्यायाधीश माना जाता है, इसलिए वह देश के सबसे बड़े हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में पदोन्नत होने के लिए वह बिल्कुल उपयुक्त विकल्प होंगे.”
इन चार जस्टिस के पास है अच्छा-खासा अनुभव
जस्टिस विजय बिश्नोई ने हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपने लगभग ग्यारह वर्षों के कार्यकाल के दौरान 652 कथित निर्णय लिखे हैं. जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव ने अपने 14 वर्षों से ज्यादा के कार्यकाल के दौरान 505 से ज्यादा कथित निर्णय लिखे हैं.
जस्टिस बीआर सारंगी ने हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपने 10 वर्षों से ज्यादा के कार्यकाल के दौरान 1056 से ज्यादा सूचित निर्णय लिखे हैं. वहीं, जस्टिस शील नागू मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपने 12 वर्षों से ज्यादा के कार्यकाल के दौरान 499 से ज्यादा कथित निर्णय लिखे हैं.