नईदिल्ली : भारत का सौर मिशन अपने सबसे अहम पड़ाव के करीब पहुंच गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस सोमनाथ ने गुरुवार को आदित्य एल1 मिशन को लेकर बड़ा अपडेट दिया। उन्होंने कहा कि आदित्य एल1 छह जनवरी को शाम चार बजे एल1 (लैग्रेंज 1) बिंदु पर हेलो ऑर्बिट कक्षा में पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि यान को कक्षा में प्रवेश कराने के लिए आदित्य एल1 के इंजन को बहुत नियंत्रित तरीके से चलाया जाएगा।
इसरो प्रमुख गुरुवार को मुंबई में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे के वार्षिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी कार्यक्रम टेकफेस्ट 2023 में बोल रहे थे। एल1 बिंदु वह क्षेत्र है जहां पृथ्वी और सूर्य दोनों ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण के बीच संतुलन रहता है। यह बिंदु पृथ्वी से करीब 3.5 लाख किलोमीटर दूर है। सोमनाथ ने कहा कि सौर यान के सभी छह पेलोड की जांच की गई है और वे सही तरीके से काम कर रहे हैं। सभी से हमें बहुत अच्छे डाटा मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि एल1 बिंदु पर पहुंच के बाद आदित्य एल1 और सूर्य के बीच कोई बाधा नहीं रहेगी। सौर यान के इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण जब तक काम करेंगे तब तक वह सूरज को देखता रहेगा और अध्ययन करता रहेगा।
उन्होंने उम्मीद जताई कि इस सौर मिशन के अपने गंतव्य पर पहुंच जाने के बाद सूरज के वातावरण, इस पर उठने वाले चुंबकीय तूफानों और धरती पर इसके असर के बारे में विस्तृत अध्ययन किया जाएगा। अंतरिक्ष यान कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) और अंतरग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र जैसी विभिन्न घटनाओं की जानकारी भी जुटाएगा। इससे न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया भर के वैज्ञानिक समुदाय को महत्वपूर्ण आंकड़े मिलेंगे।
दुर्भाग्य से प्रज्ञान दोबारा सक्रिय नहीं हुआ
भारत के चंद्र मिशन चंद्रयान-3 के बारे में उन्होंने कहा कि 14 दिनों तक पूरी सक्रियता के साथ आंकड़े एकत्र करने के बाद प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह पर गहरी नींद में चला गया। अब यह हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो गया है। हमें उम्मीद थी कि प्रज्ञान एक बार फिर सक्रिय होगा, लेकिन ऐसा हो न सका। उन्होंने कहा कि जब हमने प्रज्ञान के सभी प्रणालियों की जांच की थी तब वह 14 दिन बाद भी काम कर रही थीं, लेकिन हो सकता है कि जो प्रणाली प्रयोगशाला में काम करती थी वह चंद्रमा की सतह पर काम न कर सकी।