नईदिल्ली : दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने संसद की सुरक्षा में चूक मामले के आरोपियों को उन स्थानों पर ले जाकर पूछताछ की जहां वे इकट्ठा हुए थे और जहां से उन्होंने झंडे और अन्य वस्तुएं खरीदी थीं। सूत्रों ने बताया कि आरोपियों को पुलिस इंडिया गेट, सदर बाजार और महारानी बाग लेकर पहुंची।
सूत्रों ने बताया कि संसद में घुसने वाले सागर शर्मा और मनोरंजन डी को बुधवार को सदर बाजार की उस दुकान पर ले जाया गया, जहां से उन्होंने झंडे खरीदे थे। आरोपियों ने संसद में प्रवेश करने से पहले इंडिया गेट पर झंडे और धुआं फैलाने वाले ‘कैन’ आपस में बांटे थे। संसद में घुसने से पहले इंडिया गेट पर ही सभी आरोपी जमा हुए थे।
दोनों को न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के महारानी बाग इलाके में भी ले जाया गया। बताया जा रहा है कि उन्होंने साजिश रचने के लिए यहां एक बैठक की थी। जांच से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि पूरे घटनाक्रम की सिलसिलेवार कड़ियां जोड़ने के लिए आरोपियों को इन स्थानों पर ले जाया गया।
13 दिसंबर, 2001 को संसद पर हुए आतंकवादी हमले की बरसी पर संसद की सुरक्षा में बड़ी चूक का मामला सामने आया था। इस दौरान सागर शर्मा और मनोरंजन डी. नामक दो व्यक्ति शून्यकाल के दौरान लोकसभा की दर्शक दीर्घा से सदन में कूद गए और नारे लगाते हुए एक ‘केन’ से पीली गैस छोड़ी थी।
पांच जनवरी तक हिरासत में आरोपी
इसी समय अमोल शिंदे और नीलम आजाद ने संसद भवन परिसर के बाहर ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ का नारा लगाते हुए ‘केन’ से रंगीन गैस छोड़ी थी। सभी छह आरोपियों के खिलाफ कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। सभी छह आरोपी पांच जनवरी तक दिल्ली पुलिस की हिरासत में हैं।
नीलम आज़ाद को हाईकोर्ट से झटका
उच्च न्यायालय ने गुरुवार को संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले की आरोपी नीलम आज़ाद द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा व न्यायमूर्ति शलिंदर कौर की अवकाश पीठ के समक्ष नीलम की और से अधिवक्ता सुरेश कुमार पेश हुए। उन्होंने पुलिस हिरासत से तत्काल रिहाई की मांग करते हुए नीलम को पुलिस हिरासत में भेजने के निचली अदालत के 21 दिसंबर के आदेश की वैधता को चुनौती दी है।
हाईकोर्ट का तुरंत सुनवाई से इनकार
आजाद ने दलील दी कि रिमांड कार्यवाही के दौरान उन्हें अपना बचाव करने के लिए अपनी पसंद के कानूनी चिकित्सकों से परामर्श करने की अनुमति नहीं दी गई। वास्तव में रिमांड आवेदन के निपटारे के बाद ही उनसे पूछा गया था। अदालत ने कहा कि अगर वह अपनी पसंद के वकील द्वारा प्रतिनिधित्व करना चाहती थी जिसका उसने सकारात्मक जवाब दिया और याचिकाकर्ता को अपने वकील से परामर्श करने की अनुमति देने का आदेश पारित किया गया। उन्होंने कहा कि 29 घंटे पुलिस हिरासत में बिताने के बाद 14 दिसंबर को उन्हें पहली बार अदालत में पेश किया गया था। अधिवक्ता ने कहा कि उनकी मुवक्किला की हिरासत गैरकानूनी है ऐसे में याचिका पर तुंरत सुनवाई की जाए।
हालांकि अदालत ने कहा कि इस मामले में कोई जल्दबाजी नहीं है। अदालत ने अवकाश के बाद यानि 3 जनवरी को सुनवाई तय कर दी। आज़ाद को दिल्ली पुलिस ने 13 दिसंबर को तीन अन्य आरोपियों – सागर शर्मा, मनोरंजन डी और अमोल शिंदे के साथ गिरफ्तार किया था। जब आज़ाद और शिंदे संसद भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, शर्मा और मनोरंजन डी धुआं छोड़ते कनस्तरों के साथ दर्शक दीर्घा से लोकसभा कक्ष में दाखिल हुए। इसके बाद मामले में दो अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया। 21 दिसंबर को ट्रायल कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को आजाद के वकील के साथ एफआईआर की कॉपी साझा करने का आदेश दिया था। हालांकि, 22 दिसंबर को हाई कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी।
पुलिस ने पॉलीग्राफ टेस्ट की इजाजत मांगी
दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को अदालत में याचिका दायर कर संसद की सुरक्षा के उल्लंघन के मामले में पकड़े गए सभी छह आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की अनुमति मांगी है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर के समक्ष आवेदन दायर किया गया लेकिन उन्होंने कुछ आरोपियों के वकीलों की अनुपस्थिति का हवाला देते हुए मामले की सुनवाई 2 जनवरी तय कर दी।
पुलिस ने याचिका पर सुनवाई के दौरान छह आरोपियों मनोरंजन डी, सागर शर्मा, अमोल धनराज शिंदे, नीलम देवी, ललित झा और महेश कुमावत को अदालत में पेश किया। सभी वर्तमान में 5 जनवरी तक पुलिस हिरासत में हैं। दिल्ली पुलिस ने तर्क रखा कि आरोपी जांच में गुमराह कर रहे है और पूरे षडयंत्र का पता लगाने के लिए सभी का पॉलीग्राफ टेस्ट करवाना जरूरी है।
दिल्ली पुलिस की और से पेश लोक अभियोजक अखंड प्रताप सिंह ने पहले अदालत को सूचित किया था कि हमला सुनियोजित था। उन्होंने अदालत के समक्ष आगे कहा था कि हमले के पीछे के वास्तविक मकसद का पता लगाने के लिए और क्या उनका किसी अन्य दुश्मन देश या आतंकवादी संगठनों के साथ कोई संबंध था, इसका पता लगाने के लिए आरोपियों से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है।