छत्तीसगढ़

मेजर शैतान सिंह का मेमोरियल ध्वस्त! मल्ल्किार्जुन खरगे ने उठाए सवाल, कहा- क्या ये सच नहीं कि…

नईदिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बने बफर जोन की वजह से 1962 युद्ध के नायक मेजर शैतान सिंह का स्मारक ध्वस्त कर दिया गया है. इसको लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी ने शैतान सिंह के मेमोरियल को धराशायी कर देश को एक बार फिर से अपने फर्जी देशभक्त होने का सबूत दिया है. 

उन्होंने कहा कि भारत माता के वीर सपूत, परम वीर चक्र से सम्मानित और 1962 रेजांग-ला युद्ध के महानायक मेजर शैतान सिंह के चुशूल, लद्दाख स्थित मेमोरियल को ध्वस्त किए जाने की खबर बेहद पीड़ादायक है.

उन्होंने प्रधानमंत्री पर शायराना अंदाज में तीखा हमला बोला और कहा, “चीन पर लाल आंख तो ली मूंद, अपमानित की वीर जांबाजों के बलिदान की हर बूंद!” खरगे ने कहा कि खबरों के मुताबिक क्या यह इसलिए किया गया है, क्योंकि चीन के साथ बातचीत के बाद से अब बफर जोन भारतीय क्षेत्र में आ गया है?

‘मोदी सरकार की नाकामी’
उन्होंने पूछा कि क्यों पीएम मोदी और शी जिंनपिग के 2014 से आजतक 20 मेल-मिलापों के बाद भी भारत को देपसांग प्लेन, पैंगोंग त्सो, डेमचौक और गोगरा-हॉटस्प्रिंग क्षेत्र पर मई 2020 के पहले की वस्तुस्थिति बरकरार रखवाने में मोदी सरकार विफल रही है? 

‘जवानों का सर्वोच्च बलिदान देश का गौरव’
उन्होंने सवाल किया कि क्या ये सच नहीं है कि गलवान में 20 सेना के जवानों के प्राणों की आहुति के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने चीन को क्लीन चिट थमा दी थी? कांग्रेस नेता ने कहा कि मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में 13 कुमाऊं की C कंपनी का रेजांग ला की रक्षा के लिए 113 वीर जवानों का सर्वोच्च बलिदान देश का गौरव है.

‘चीन के आगे घुटने टेके’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि बीजेपी ने उनके (मेदर शैतान सिंह) मेमोरियल को धराशायी कर देश को एक बार फिर अपने नकली देशभक्त होने का सबूत दिया है. दुखद है कि सरकार चीनी मंसूबों के आगे घुटने टेक चुकी है.

गौरतलब है कि हाल ही में लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद के सदस्य खोनचोक स्टैनजिन ने कहा था कि मेजर शैतान सिंह का स्मारक अब बफर जोन में आ चुका है. इस दौरान उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक तस्वीर भी शेयर थी है, जिससे पता चलता है कि स्मारक अक्टूबर 2020 तक भारतीय के कंट्रोल में था. उस समय कुमाऊं रेजिमेंट की 8वीं बटालियन ने इसका नवीनीकरण किया था.