छत्तीसगढ़

लोकसभा चुनाव : हर चुनाव में ममता को क्यों याद आता है ढोकला-मछली? क्या नैया पार लगा पाएगा यह फॉर्मूला?

कोलकाता : लोकसभा चुनाव के बीच जारी राजनीति अब खाने की थाली तक पहुंच चुकी है। लगातार चुनाव में मांसाहारी भोजन और आहार प्रतिबंधों पर बहस तूल पकड़ रही है। इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पर कथित तौर पर नवरात्र के दौरान मछली खाने को लेकर सवाल उठाने से हुई।

अब इसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ढोकला-मछलीकरी वाले अपने बयान के जरिए पुराना धर्म वाला तुरूप का इक्का चला है। अब देखना यह होगा कि क्या यह फॉमूर्ला ममता की सफलता की सीढ़ी बन सकेगा? कोलकाता में एक चुनावी रैली में बोलते हुए, ममता बनर्जी ने पीएम मोदी के लिए ‘खाना पकाने’ की पेशकश की और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर पलटवार किया और आरोप लगाया कि वे लोगों की भोजन की आदतों में हस्तक्षेप कर रहे हैं।

ममता ने अपने संबोधन में ढोकला, डोसा, इडली, पराठा, रोटी, चावल, बिरयानी, झिंगे चिंगरी जैसे व्यंजनों के नाम एक के बाद एक उछाले। इस दौरान, पब्लिक का ममता को भरपूर सपोर्ट देखने को मिला। यह कोई पहली बार नहीं था कि जब ममता ने वोट बैंक लूटने और अपनी छाप जमाने के लिए इस तरह के बयान का इस्तेमाल किया हो।

‘क्या मोदी जी मेरा खाना स्वीकार करेंगे?’

ममता ने कोलकाता में संबोधन में कहा कि मोदी बाबू, क्या आप मेरे द्वारा आपके लिए बनाए गए भोजन का स्वाद चखेंगे? ममता ने कहा कि मैं बचपन से ही खाना बना रही हूं। लोगों ने मेरे खाना पकाने की प्रशंसा की है। लेकिन, क्या मोदी जी मेरा खाना स्वीकार करेंगे? क्या वह मुझ पर भरोसा करेंगे? उन्हें जो पसंद आएगा मैं वही पकाऊंगी।

ममता ने इस बात पर भी जोर दिया कि वह खासतौर पर पीएम मोदी के लिए खुद ही खाना बनाएंगी। उन्होंने कहा कि मैं वादा करती हूं, मैं खुद ही खाना बनाऊंगी, किसी और से नहीं बनवाऊंगी। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को यह तय करना चाहिए कि वे क्या खाना चाहते हैं। ममता बनर्जी ने कहा कि लोग वही खाएंगे जो, वे चाहते हैं। जो लोग शाकाहारी भोजन पसंद करते हैं, वे वही खाएंगे। मांसाहारी प्रेमी मांसाहारी भोजन खाएंगे।

ममता बनर्जी पर एक ही सांस में हमला बोल दिया कि कुछ को ढोकला पसंद है, दूसरों को डोसा पसंद है। कुछ को इडली पसंद है, जबकि अन्य को परांठे पसंद हैं। कुछ को रोटी पसंद है, कुछ को चावल पसंद है। कुछ को बिरयानी पसंद है, जबकि अन्य को झींगा-परे या झींगा-तुरई पसंद है। कई अन्य को झींगा मलाई करी पसंद है।

क्या है ममता का फॉमूर्ला?
टीएमसी सुप्रीमो ममता हर बार अपना ‘धर्म’ का तुरुप का इक्का चलने में माहिर रही हैं। इस बार भी ममता ने यही फॉमूर्ला चलकर चुनावी खेल में वोट बैंको को घसीटने का प्रयास किया है। ममता ने कहा है कि धर्म के नाम बीजेपी बांट रही है। उन्होंने यह भी कहा है कि ढोकला, मछली-करी जैसे शाकाहारी और मांसाहारी व्यंजन दोनों पसंद है।