नईदिल्ली : केरल की वायनाड और उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट इन दिनों चर्चा का विषय है. लोकसभा चुनाव में इन दोनों ही सीटों से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रचंड जीत हासिल की है. दोनों ही जगहों की जनता ने राहुल को जमकर समर्थन दिया और भारी मतों से जिताया. दो सीटों पर जीत दर्ज करने वाले राहुल के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती एक सीट को चुनना है. रायबरेली और अमेठी को लेकर राहुल खुद भी कन्फ्यूज हैं.
राहुल गांधी का कहना है कि वह इस बात को लेकर दुविधा में हैं कि वायनाड या रायबरेली लोकसभा सीट में से किस सीट से सांसद बने रहें. बुधवार को केरल पहुंचे राहुल गांधी ने मलप्पुरम में कहा कि वह इस बात को लेकर दुविधा में हैं कि उन्हें कौन सा निर्वाचन क्षेत्र छोड़ना चाहिए उन्होंने कहा कि वह जो भी फैसला लेंगे उससे दोनों निर्वाचन क्षेत्र के लोग खुश होंगे. राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में दूसरे कार्यकाल के लिए उन्हें चुनने के लिए वह वायनाड के लोगों को धन्यवाद देते हैं.
कांग्रेस का गढ़ माना जाता है रायबरेली
रायबरेली सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है. इस क्षेत्र से गांधी परिवार का पुराना रिश्ता है. जवाहर लाल नेहरू से शुरू हुआ ये रिश्ता पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी ने आगे बढ़ाया. इसके बाद इस रिश्ते को सोनिया गांधी ने बरकरार रखा. सोनिया रायबरेली से चुनाव लड़ती थीं लेकिन इस बार उन्होंने अपने बेटे को यहां से चुनावी मैदान में उतारा. जहां जनता ने राहुल गांधी को भरपूर समर्थन देकर भारी मतों से जिताया. क्षेत्र की जनता ने साबित कर दिया कि गांधी परिवार से उनका रिश्ता बेहद मजबूत और भावनात्मक है.
वायनाड से दूसरी बार राहुल गांधी ने दर्ज दी जीत
वहीं बात करें वायनाड की तो राहुल गांधी दूसरी बार यहां से सांसद चुने गए हैं. साल 2019 में राहुल ने अमेठी और वायनाड से चुनाव लड़ा था. जिसमें उन्हें अमेठी से हार मिली थी. इस चुनाव में बीजेपी की स्मृति ईरानी ने कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली सीट पर राहुल को शिकस्त दी थी. वहीं पहली बार वायनाड से चुनावी मैदान में उतरे राहुल ने इस सीट पर शानदार जीत हासिल की थी. वायनाड की जनता ने उस वक्त राहुल का साथ दिया था जब उन्हें अमेठी से हार मिली थी. वायनाड की वजह से ही वो संसद पहुंचे थे.ऐसे में राहुल के सामने यकीनन दोनों जगहों में से किसी एक को चुनना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है.