छत्तीसगढ़

कौन हैं गुजरात की इकलौती कांग्रेस सांसद गेनीबेन ठाकोर? जिन्होंने क्राउडफंडिंग के जरिए चुनाव लड़ा और जीता

नईदिल्ली : लोकसभा चुनाव में इस बार सत्तारूढ़ दल भाजपा को कई राज्यों से झटका लगा है। सबसे बड़ा नुकसान भाजपा को यूपी से हुआ। जहां पार्टी 62 सीटों से सिमटकर इस बार 33 पर आ गई। इसके अलावा राजस्थान में भी 10 सीटों का नुकसान हुआ है। इस बीच गुजरात में बीजेपी एक सीट हारी है, जो कांग्रेस के खाते में गई। गुजरात की एक सीट पर जीत दर्ज करने वाली गेनीबेन ठाकोर की चर्चा राज्य के अलावा दिल्ली तक हो रही है। ऐसे में जानिए कौन हैं गुजरात में कांग्रेस की इकलौती सांसद, जिन्होंने 10 सालों के लंबे वक्त बाद पार्टी का खाता खोलने में सफल हुई हैं।

गेनीबेन ठाकोर ने भाजपा को गुजरात में क्लिन स्वीप करने से रोका दिया। बनासकांठा लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने धाकड़ महिला नेता गेनीबेन ठाकोर ने बीजेपी को चित कर दिया। उन्होंने 30 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से भाजपा उम्मीदवार रेखाबेन को हराया।

पैसों की कमी के चलते की क्राउडफंडिंग

हालांकि जब गेनीबेन को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार घोषित किया तो उनके लिए चुनाव प्रचार आसान नहीं था। उनकी पार्टी के पास फंड समर्थन नहीं था, साथ ही भाजपा को टक्कर देने के लिए इलेक्शन मशीनरी का भी अभाव था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और क्राउडफंडिंग के जरिए चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

शाह को फोन कर मांगे पैसे

टीवी पत्रकार राजदीप सरदेसाई के अनुसार गृह मत्री अमित शाह की क्लासमेट रहीं गेनीबेन ने उनको फोन लगाकर चुनाव लड़ने की बात कहीं और बताया कि उनको पैसों की जरूरत है। इसके अलावा गेनीबेन अपने इलाके में इतनी लोकप्रिय हैं कि किसी भी घर में खुशी या गम में शामिल होने के लिए सबसे आगे रहती हैं।

48 वर्षीय गेनीबेन ने राजस्थान के लाडनूं में जैन विश्व भारती संस्थान से पढ़ाई छोड़ दी थी और कांग्रेस के साथ जमीनी कार्यकर्ता के रूप में राजनीति में शामिल हो गईं। उन्होंने तालुका पंचायत और जिला पंचायत चुनाव लड़े और 2012 में पहली बार वाव सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं।

दो बार की विधायक, अब बनीं सांसद

इसके बाद 2017 में फिर से चुनाव लड़ा और भाजपा के शंकर चौधरी को हराया। 2022 में चौधरी पड़ोसी थराड सीट में चले गए, जबकि गेनीबेन ने उस समय फिर से जीत हासिल की, यह वो दौर था जब राज्य में कांग्रेस का सफाया हो गया था, 182 में से केवल 17 सीटें जीत पाई थी।