नईदिल्ली : लेखिका और समाजिक कार्यकर्ता अरुधंति रॉय पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी UAPA के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। अरुधंति रॉय पर UAPA का केस उनके 14 साल पहले यानी 2010 में दिए ‘कश्मीर’ के बयान से जुड़ा है। इस वजह से अरुधंति रॉय की चर्चा हर तरफ हो रही है।
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के दफ्तर द्वारा जारी बयान के मुताबिक, 21 अक्टूबर 2010 को दिल्ली के एलटीजी ऑडिटोरियम में ‘आजादी-द ओनली वे’ प्रेस कॉन्फ्रेंस में अरुधंति रॉय ने कहा था कि, ‘कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा नहीं था। उसपर जबरन कब्जा किया गया है।’ इसी मामले को लेकर अरुधंति रॉय पर UAPA का केस दर्ज किया गया है।
अरुंधति रॉय एक जानी-मानी लेखिका और समाजिक कार्यकर्ता हैं। अरुंधति रॉय को उनकी किताब ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ के लिए 1997 में बुकर पुरस्कार मिला था।24 नवंबर 1961 को शिलांग में जन्मीं अरुंधति रॉय अलग-अलग मुद्दों पर अपनी राय रखने के लिए भी जानी जाती हैं। अरुंधति रॉय की किताब’द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ गैर-प्रवासी भारतीय लेखक द्वारा सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक बनी थी।
अरुंधति रॉय मानवाधिकार और पर्यावरणीय कारणों से जुड़ी एक राजनीतिक कार्यकर्ता भी हैं। अरुंधति रॉय जब 2 साल की थी तो उनके माता-पिता अलग हो गए थे। अरुंधति अपनी मां और भाई के साथ रही थी। अरुंधति की मां महिला अधिकार कार्यकर्ता थी।अरुंधति रॉय 5 साल की उम्र में केरल में रही हैं, जहां उनकी मां एक स्कूल चलाती थीं। अरुंधति रॉय ने तमिलनाडु के नीलगिरी में लॉरेंस स्कूल से पढ़ाई की है।
16 साल की उम्र में अरुंधति रॉय ने छोड़ दिया था अपना घर
कहा जाता है कि अरुंधति रॉय ने 16 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया था। उनके पास आगे की पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे। वो खाली बोतले बेचकर अपना गुजारा करती थीं। इससे पैसे इकट्ठे करने के बाद उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर में एडमिशन लिया था। इसके बाद उन्होंने आर्किटेक्चर की पढ़ाई की। ये बात खुद अरुंधति रॉय ने एक इंटरव्यू में कहा था।
पढ़ाई के दौरान ही अरुंधति रॉय की मुलाकात आर्किटेक्ट जेरार्ड दा कुन्हा से हुई। जिसके बाद 1978 में उन्होंने शादी की थी। हालांकि दोनों ने फिर 1982 में तलाक ले लिया था।अपने करियर की शुरुआत में अरुंधति रॉय ने टेलीविजन और फिल्मों में काम किया। उन्होंने 1985 में मैसी साहिब में अभिनय किया। उन्होंने In Which Annie Gives It Those Ones(1989) के लिए भी स्क्रीनप्ले भी लिखी थी। इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला था।
अरुंधति रॉय की 5 बड़ी उपलब्धियां
- 1. अरुंधति रॉय को 1997 में उनकी किताब ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ के लिए बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- 2. अरुंधति रॉय को 1989 में बेस्ट स्क्रीनप्ले के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया था। लेकिन साल 2015 में उन्होंने हिंसा के विरोध में राष्ट्रीय पुरस्कार लौटा दिया था।
- 3. अरुंधति रॉय को 2003 में सैन फ्रांसिस्को में ग्लोबल एक्सचेंज ह्यूमन राइट्स अवार्ड्स में वुमन ऑफ पीस से सम्मानित किया गया था।
- 4. अरुंधति रॉय को मई 2004 में सिडनी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसी साल उन्हें नेशनल कांउसिल ऑफ टीचर ऑफ इंग्लिश द्वारा ऑरवेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- 5. अरुंधति रॉय को नवंबर 2011 में विशिष्ट लेखन के लिए नॉर्मन मेलर पुरस्कार से नवाजा गया था। वहीं अरुंधति रॉय 2014 में दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की टाइम 100 की सूची में भी शामिल किया गया था।