छत्तीसगढ़

धीमा हुआ पृथ्वी के आंतरिक कोर का चक्कर; छोटे हो सकते हैं दिन, दुनिया का समय तय करने पर हो रहा असर

नईदिल्ली : पृथ्वी के आंतरिक कोर के घूर्णन में आई कमी के चलते दिन की समयावधि में कमी आ सकती है। पृथ्वी के आंतरिक कोर ने ग्रह की सतह के मुकाबले 2010 में अपने घूर्णन यानी घूमने की रफ्तार को धीमा करना शुरू कर दिया था। नेचर जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके धीमे होने से पृथ्वी पर एक दिन की लंबाई में एक सेकंड के अंश तक का बदलाव आ सकता है। यही वजह है कि 1972 से हर कुछ साल में एक बार एक लीप सेकंड जोड़ना जरूरी हो गया है। शोधकर्ता पृथ्वी के आंतरिक भाग यानी कोर के भौतिक तौर पर दुर्गम होने की वजह से आमतौर पर भूकंप से भेजी गई तरंगों की रिकॉर्डिंग (सीस्मोग्राम) का विश्लेषण करके इस नतीजे पर पहुंचे हैं।

नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ साउथर्न कैलिफोर्निया, यूएस में अर्थ साइंसेज के प्रोफेसर जॉन विडेल का कहना है, जब मैंने पहली बार इस बदलाव का संकेत देने वाले सीस्मोग्राम देखे, तो मैं हैरान रह गया। जब हमने दो दर्जन से अधिक इसी तरह की घटनाएं देखीं, जो एक ही पैटर्न का संकेत दे रही थे, तो हम इसको लेकर आश्वस्त हो गए। दरअसल इससे पता चला कि कई दशकों में पहली बार आंतरिक कोर धीमा हो गया था।  

जलवायु परिवर्तन भी वजह  इस साल की शुरुआत में नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में खुलासा हुआ था कि जलवायु परिवर्तन की वजह से ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में बर्फ पिघलने से पृथ्वी की घूर्णन गति धीमी हो रही है, जिससे वैश्विक समय निर्धारण पर असर पड़ रहा है। इससे विशेषज्ञों की चिंता और बढ़ गई है।

121 भूकंपों और परमाणु परीक्षण का लिया सहारा
इस नवीनतम अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 1991 से 2023 के बीच दक्षिण अटलांटिक महासागर में एक दूरस्थ द्वीपसमूह साउथ सैंडविच में एक ही जगह पर 121 बार आए भूकंपों के आंकड़ों पर नजर रखी। यह द्वीप खतरनाक भूकंपों के लिए जाना-जाता हैं। वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के आंतरिक कोर का अध्ययन करने के लिए 1971 और 1974 के बीच हुए दो सोवियत परमाणु परीक्षणों से मिली जानकारी के साथ-साथ कई फ्रांसीसी और अमेरिकी परमाणु परीक्षणों से मिली जानकारी का भी इस्तेमाल किया। उन्होंने अपने विश्लेषण को अधिक सटीक और व्यापक बनाने के लिए इस सारे आंकड़े को एक साथ मिलाया।

40 वर्षों में पहली बार कम हुई गति
वैज्ञानिक समुदाय में आंतरिक कोर के धीमे होने पर लंबी बहस होती है। कुछ अध्ययनों में तो यह भी सुझाव दिया गया है कि यह पृथ्वी की सतह से भी अधिक तेजी से घूमता है। यह भी जाहिर है कि आंतरिक कोर का घूमना उसकी बाहरी कोर में पैदा चुंबकीय क्षेत्र और पृथ्वी के आवरण के भीतर गुरुत्वाकर्षण असर से प्रभावित होता है।
 हालांकि, यह माना जाता है कि आंतरिक कोर सतह के सापेक्ष उलट रहा है और पीछे की तरफ जा रहा है, क्योंकि लगभग 40 वर्षों में पहली बार वह अपने आवरण की तुलना में यह धीमी गति से घूम रहा है।