छत्तीसगढ़

क्या होती है बर्न्ट मेमोरी, जिससे पहली बार होगा EVM और VVPAT का वेरिफिकेशन?

नईदिल्ली : लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे भले ही घोषित हो गए हो, लेकिन चुनाव आयोग का काम अभी खत्म नहीं हुआ है. आयोग को लोकसभा चुनावों के 8 उम्मीदवारों से EVM और VVPAT की बर्न्ट मेमोरी के सत्यापन करके लिए आवेदन मिले हैं. सुप्रीम कोर्ट के अप्रैल में दिए आदेश के बाद पहली बार चुनाव के उपविजेताओं के अनुरोध पर चुनावी मशीनों के डेटा के सत्यापन की अनुमति दी गई है. आइए जानते हैं कि बर्न्ट मेमोरी क्या होती है और इसमें हेरफेर किए जाने की कोई गुंजाइश क्यों नहीं होती.

उपविजेताओं के अनुरोध पर चुनाव आयोग 6 राज्यों के 8 संसदीय क्षेत्रों के 92 मतदान केंद्रों के EVM और VVPAT की जांच और सत्यापन करेगा. इनके अलावा आंध्र प्रदेश और ओडिशा के 26 मतदान केंद्रों पर भी जांच होगी. आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक, EVM की कंट्रोल यूनिट परिणाम को अपनी मेमोरी में 10 साल से भी ज्यादा समय तक स्टोर कर सकती है.

सुप्रीम कोर्ट के किस आदेश की वजह से हो रहा है सत्यापन?

सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल, 2024 को चुनाव के उपविजेताओं की तरफ से चुनावी मशीनों के डेटा के सत्यापन के लिए अनुरोध करने की मंजूरी दी थी. कोर्ट ने निर्देश दिया कि चुनावी परिणामों की घोषणा के बाद, हारने वाले उम्मीदवारों के लिखित अनुरोध पर निर्वाचन क्षेत्र के 5 प्रतिशत EVM (कंट्रोल और बैलट यूनिट दोनों) और VVPAT की बर्न्ट मेमोरी की जांच की जाएगी. किसी निर्वाचन क्षेत्र से यह अनुरोध केवल वो उम्मीदवार कर सकते हैं, जो वोटों के मामले में दूसरे और तीसरे पायदान पर रहे. जांच कराने के लिए, हारने वाले उम्मीदवार को चुनाव परिणाम की घोषणा के 7 दिनों के भीतर संबंधित जिला चुनाव अधिकारी (DEO) को लिखित आवेदन देना होगा.

EVM की बर्न्ट मेमोरी क्या होती है?

भारत की EVM बाकी देशों की वोटिंग मशीन के मुकाबले काफी सुरक्षित होती है. उसकी एक वजह इसमें बर्न्ट मेमोरी का होना है. बर्न्ट मेमोरी का मतलब प्रोग्रामिंग चरण पूरा होने के बाद मेमोरी को स्थायी रूप से लॉक कर देना होता है. इससे उसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती.

चुनाव आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, EVM में इस्तेमाल होने वाले प्रोग्राम (सॉफ्टवेयर) को वन टाइम प्रोग्रामेबल/मास्कड चिप (हार्डवेयर) में बर्न किया जाता है. इससे उस प्रोग्राम को पढ़ा नहीं जा सकता. इसके अलावा, प्रोग्राम को बदलकर दोबारा नहीं लिखा जा सकता. इस तरह EVM को किसी विशेष तरीके से दोबारा प्रोग्राम करने की कोई संभावना नहीं रहती.

किस तरह होगा वोटों का वेरिफिकेशन?

आवेदन मिलने पर, EVM मशीन के निर्माताओं की तरफ से इंजीनियर्स की एक टीम भेजी जाएगी, जो परिणामों की जांच और सत्यापन करेगी. इस दौरान जांच की मांग करने वाला उम्मीदवार समेत बाकी उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों को वहां मौजूद रहने का विकल्प मिलेगा. इस प्रक्रिया में जो खर्च आएगा उसको चुनाव आयोग नोटिफाई कर देगा, जिसकी भरपाई जांच की मांग करने वाला उम्मीदवार करेगा. अगर EVM में कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो पैसा उम्मीदवार को वापस कर दिया जाएगा.