छत्तीसगढ़

कांग्रेस को वायनाड में प्रियंका गांधी के प्रचार के लिए क्यों पड़ी ममता बनर्जी की जरूरत?

नईदिल्ली : वायनाड लोकसभा में उपचुनाव की घोषणा से पहले ही कांग्रेस पार्टी ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है. प्रियंका गांधी को पहली बार सदन पहुंचने में कोई दिक्कत न आए, इसके लिए पार्टी केरल से बंगाल तक अपने घोड़े दौड़ा रही हैं. पार्टी ने प्रियंका के प्रचार के लिए तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी से भी संपर्क साधा है. कहा जा रहा है कि ममता ने इसकी रजामंदी भी दे दी है.

तृणमूल कांग्रेस से जुड़े ‘इंडिया वांट्स ममता दी’ के सोशल मीडिया हैंडल पर एक पोस्टर भी शेयर किया गया है, जिसमें कहा गया है कि ममता बनर्जी प्रियंका गांधी के लिए प्रचार करेंगी. हालांकि, इसकी तारीख की घोषणा अभी तक नहीं हुई है.

ममता के प्रियंका के लिए प्रचार करने की खबर को गुरुवार को तब बल मिला, जब कांग्रेस के कद्दावर नेता पी चिदंबरम ने टीएमसी सुप्रीमो से कोलकाता में मुलाकात की. चिदंबरम की मुलाकात के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के भी सुर बदले नजर आए.

वायनाड में इसी साल अक्टूबर के आसपास उपचुनाव कराया जा सकता है. 2024 में इस सीट पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को जीत मिली थी.

ममता बनर्जी की जरूरत क्यों पड़ी

कांग्रेस पिछले 4 चुनाव से लगातार यहां से जीत दर्ज कर रही है. पिछले 2 चुनाव में तो राहुल गांधी को यहां 50 प्रतिशत से ज्यादा मत मिले. राहुल के इस्तीफा के बाद कांग्रेस ने यहां से प्रियंका को उम्मीदवार बनाया है, लेकिन इस मामले में नया मोड़ तब आया, जब तृणमूल कांग्रेस खेमे से यह खबर आई कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वायनाड में प्रियंका गांधी के लिए प्रचार करेंगी.

वो भी उस वायनाड में, जहां पर ममता बनर्जी की पार्टी का कोई जनाधार नहीं है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर कांग्रेस को वायनाड में ममता की जरूरत क्यों पड़ी? 3 पॉइंट्स में इसे समझने की कोशिश करते हैं.

1. वायनाड की सीधी लड़ाई लेफ्ट फ्रंट से

वायनाड लोकसभा में कांग्रेस की सीधी लड़ाई लेफ्ट फ्रंट से है. 2024 के चुनाव में यहां से सीपीआई की एन्नी राजा उम्मीदवार थीं. उन्हें करीब 2.75 लाख वोट मिले थे. एन्नी चुनाव के वक्त से ही राहुल के सीट छोड़ने का दावा कर रही हैं.

अब जब यहां उपचुनाव होना है, तो लेफ्ट गठबंधन और ज्यादा आक्रामक रणनीति तैयार कर रही है.

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी इस सीट को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. ममता बनर्जी लेफ्ट के खिलाफ बड़ा चेहरा रही हैं. बंगाल में उन्होंने अकेले दम पर लेफ्ट के पांव उखाड़ दिए. ऐसे में अगर ममता वायनाड में जाकर प्रियंका के पक्ष में कैंपेन करती हैं तो इसका फायदा पार्टी को जरूर होगा.

2. राहुल की जीत के अंतर में भी कमी आई

2019 में राहुल गांधी को 4.31 लाख वोट से जीत मिली थी. उन्हें कुल पड़े मत का करीब 65 प्रतिशत वोट मिला था, लेकिन 2024 में उनके वोट प्रतिशत और संख्या में गिरावट आई.

2024 में उनके जीत का मार्जिन घटकर 3.64 लाख हो गया. राहुल के वोट प्रतिशत में भी गिरावट आई. इस बार उन्हें सिर्फ 59 प्रतिशत वोट मिले हैं. वो भी तब जब एसडीपीआई जैसी पार्टियों ने उम्मीदवार नहीं उतारे.

उपचुनाव से पहले लेफ्ट फ्रंट ने यहां मोर्चेबंदी भी शुरू कर दी है. विजयन सरकार ने वायनाड के कद्दावर आदिवासी नेता और मंथावाडी से विधायक ओआर केलू को कैबिनेट में शामिल किया है. यह पहली बार है, जब विजयन सरकार में वायनाड से किसी को मंत्री बनाया गया है.

3. बीजेपी भी वायनाड में मजबूती से उभरी

2019 में वायनाड में बीजेपी का कोई उम्मीदवार नहीं था. 2014 में पार्टी ने यहां से जरूर चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार पीके रश्मिनाथ को 80 हजार वोट मिले थे.

10 साल बाद 2024 में पार्टी के वोटों की संख्या में लगभग 60 हजार की बढ़ोतरी हुई है. 2024 में बीजेपी के उम्मीदवार के.सुरेंद्रन को 1 लाख 40 हजार वोट मिले हैं. प्रियंका गांधी पहली बार चुनाव लड़ रही हैं. ऐसे उन्हें घेरने के लिए बीजेपी भी जोर लगाएगी, जिससे यहां मुकाबला त्रिकोणीय भी हो सकता है.

इस पूरे मामले में CPM का स्टैंड क्या है?

सीपीएम पोलित ब्यूरो के सदस्य हन्नान मोल्लाह  कहते हैं- किसी से प्रचार कराना पार्टी का व्यक्तिगत मामला है, लेकिन ममता बनर्जी को वायनाड ले जाने से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होगा.

मोल्लाह के मुताबिक ममता बनर्जी के बयान का कोई भरोसा नहीं है. सुबह कुछ बोलती हैं, दोपहर कुछ और शाम को कुछ. यह कांग्रेस को सोचना चाहिए कि उसे ऐसे लोगों की जरूरत क्यों पड़ रही है?

मोल्लाह आगे कहते हैं- बंगाल में हमारा अभी तक कांग्रेस से गठबंधन है और यह गठबंधन मजबूत है. आगे क्या होगा, यह तो वक्त ही बताएगा. ममता बनर्जी का केरल में कोई ज्यादा असर नहीं है. वहां हमारा काडर काफी मजबूत है.

वायनाड लोकसभा का जातीय समीकरण

साल 2008 के परिसीमन के बाद वायनाड लोकसभा क्षेत्र आस्तित्व में आया. इस लोकसभा में विधानसभा की कुल 7 सीटें हैं. चुनाव आयोग के मुताबिक इस लोकसभा में करीब 15 लाख से ज्यादा वोटर्स हैं. 2024 चुनाव में 10 लाख से ज्यादा मत यहां पड़े थे.

जाति आधारित समीकरण की बात की जाए, तो वायनाड लोकसभा में करीब 41 प्रतिशत आबादी मुस्लिम समुदाय की है. यहां क्रिश्चन (ईसाई) समुदाय की आबादी 13.1 प्रतिशत है. वायनाड में 7 प्रतिशत दलित और 9 प्रतिशत आदिवासी वोटर्स हैं.

यह सभी आंकड़े सर्वे एजेंसी chanakyya.com के हैं. 2009 में इस सीट पर पहली बार लोकसभा के चुनाव कराए गए थे, जिसमें कांग्रेस के एमआई शनावास को करीब 1.5 लाख वोटों से जीत मिली थी.

2014 में भी शनावास ही यहां से चुनाव लड़े और जीते. 2019 में कांग्रेस ने वायनाड से राहुल गांधी को मैदान में उतार दिया. राहुल ने इस सीट से सीपीआई के पीपी सुनीर को 4.5 लाख वोटों के बड़े अंतर से हराया. राहुल ने 2024 में भी इस सीट से जीत हासिल की.