छत्तीसगढ़

संसद के विशेष सत्र शुरू होने से पहले ही घमासान, प्रोटेम स्पीकर को सहयोग नहीं करेगा इंडिया ब्लॉक

नईदिल्ली : 18वीं लोकसभा का पहला विशेष सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है. सोमवार और मंगलवार को नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाई जाएगी. नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाने के लिए राष्ट्रपति ने बीजेपी सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है और उनकी सहायता के लिए कोडिकुन्निल सुरेश (कांग्रेस), टी आर बालू (डीएमके), राधा मोहन सिंह और फग्गन सिंह कुलस्ते (दोनों भाजपा) और टीएमसी के सुदीप बंद्योपाध्याय को भी नामित किया था, लेकिन इंडिया गठबंधन ने प्रोटेम स्पीकर को लेकर आपत्ति जताई है और फैसला किया है कि विरोध के तौर पर वो प्रोटेम स्पीकर की मदद के लिए स्पीकर की कुर्सी पर नहीं जाएंगे.

कांग्रेस और इंडिया गंठबंधन की नाराजगी इस बात से है कि परंपरा तोड़ सबसे वरिष्ठ दलित नेता 8 बार के कांग्रेस सांसद के सुरेश की बजाय सात बार के बीजेपी सांसद भतृहरि मेहताब को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है. इसे लेकर ही विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ने आपत्ति जताई है.इस आपत्ति और टकवार के बीच संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को 18वीं लोकसभा के पहले सत्र की पूर्व संध्या पर तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय से मुलाकात की.

लोकसभा में अध्यक्षों के पैनल में नामित तीन विपक्षी सदस्यों में से एक बंद्योपाध्याय ने रिजिजू से कहा कि वह पैनल में शामिल नहीं हो पाएंगे और इंडिया ब्लॉक द्वारा लिए गए निर्णय पर अड़े रहेंगे.

रिजिजू ने सोशल साइट्स एक्स पर लिखा कि अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस संसदीय दल के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय से मुलाकात की. सुदीप दा का संसदीय करियर काफी लंबा है और वे संसद में अपने शांत और गरिमामय आचरण के लिए जाने जाते हैं. 18वीं लोकसभा को उनके अनुभवों से काफी लाभ मिलेगा.

रिजिजू ने दावा किया है कि महताब लगातार सात बार लोकसभा सदस्य रह चुके हैं, जिससे वे इस पद के लिए योग्य हैं, जबकि सुरेश 1998 और 2004 के चुनाव में पराजित हुए थे, हालांकि इससे पहले लोकसभा चुनाव 1989, लोकसभा चुनाव 1991, लोकसभा चुनाव 1996 और लोकसभा चुनाव 1999 में विजयी रहे थे.

कांग्रेस ने रविवार को भाजपा पर हमला जारी रखा और वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सत्तारूढ़ पार्टी को दलित विरोधी करार दिया. एआईसीसी के संचार प्रभारी महासचिव रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया कि अगर यह तर्क अपनाया जाता है, तो भाजपा सांसद रमेश चंदप्पा जिगाजिनागी, जो लगातार सातवीं बार सांसद हैं, पर विचार क्यों नहीं किया गया? क्या इसलिए कि वे सुरेश की तरह दलित हैं?

भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस को सुरेश को विपक्ष का नेता बनाना चाहिए. उन्होंने एक्स पर लिखा कि अगर आप कोडिकुन्निल सुरेश के राजनीतिक करियर को लेकर इतने चिंतित हैं, तो मैं आपसे आग्रह करूंगा कि उन्हें विपक्ष का नेता और 2026 के केरल चुनावों के लिए यूडीएफ का सीएम चेहरा बनाया जाए. एक अस्थायी पद के लिए इतना तनाव क्यों?

भाजपा प्रवक्ता ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में हुई जहरीली शराब की त्रासदी में अधिकांश पीड़ित अनुसूचित जाति से थे और कांग्रेस को उनके लिए भी न्याय सुनिश्चित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, अवैध शराब की त्रासदी में कल्लाकुरिची में मरने वाले 56 लोगों में से अधिकांश अनुसूचित जाति समुदाय से हैं! एमके स्टालिन से अपने आबकारी मंत्री को बर्खास्त करने के लिए कहकर उनके लिए कुछ न्याय कैसे हो सकता है.