छत्तीसगढ़

सुनील गावस्कर ने इस पूर्व खिलाड़ी के लिए भारत रत्न की मांग की, सरकार से की अपील, जानें

Former batter Sunil Gavaskar demand Bharat Ratna to Rahul Dravid Urges Indian Government To Honour dravid

नई दिल्ली। दिग्गज भारतीय बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने पूर्व खिलाड़ी और भारतीय टीम के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ को सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की मांग की है। द्रविड़ का कोच के रूप में कार्यकाल टी20 विश्व कप फाइनल के बाद समाप्त हो गया था। द्रविड़ ने कार्यकाल टीम को टी20 विश्व कप का चैंपियन बनाने के साथ खत्म किया। द्रविड़ के कोच रहते भारत ने कई उपलब्धियां हासिल की जिसमे विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) और वनडे विश्व कप 2023 का उपविजेता बनना शामिल है। इसके अलावा द्रविड़ के नेतृत्व में टीम ने एशिया कप का खिताब भी जीता था। 

कोच के अलावा भी द्रविड़ ने भारतीय क्रिकेट के लिए कई योगदान दिए हैं। वह राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के प्रमुख रह चुके हैं और 2018 में अंडर-19 विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के कोच रहे थे। खिलाड़ी के तौर पर द्रविड़ ने 24177 रन बनाए हैं। द्रविड़ का प्रभाव मैदान के अंदर और बाहर दोनों में काफी रहा है। 

गावस्कर ने एक लेख में लिखा, यह उचित होगा यदि भारत सरकार द्रविड़ को भारत रत्न से सम्मानित करे, क्योंकि वे वास्तव में यही हैं। एक महान खिलाड़ी और कप्तान जिसने वेस्टइंडीज में सीरीज जीती और इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज जीतने वाले तीसरे भारतीय कप्तान बने थे। एनसीए के अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने युवा प्रतिभाओं को तराशा और फिर सीनियर भारतीय टीम के कोच बने। साल की शुरुआत में कुछ लोगों को भारत रत्न मिला था जिन्होंने समाज में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। यहां तक कि उनके सबसे प्रबल समर्थक भी इस बात से सहमत होंगे कि उनका प्रभाव ज्यादातर उनकी पार्टी और देश के उस हिस्से तक ही सीमित था, जहां से वे आए थे। 

उन्होंने कहा, द्रविड़ की उपलब्धि ऐसी है जिसने पूरे देश को खुशी दी है। निश्चित रूप से द्रविड़ देश के सर्वोच्च सम्मान के पात्र है। आइए, कृपया मेरे साथ मिलकर सरकार से देश के महान सपूत को सम्मानित करने की मांग करें। भारत रत्न राहुल शरद द्रविड़, यह सुनने में अच्छा लगेगा ना? 

गावस्कर ने अपने खेल के दिनों में द्रविड़ के निस्वार्थ रवैये की भी सराहना की, जो भारतीय टीम के मुख्य कोच के रूप में उनके समय में भी जारी रहा। उन्होंने लिखा, जिस समय वह खेल रहे थे, द्रविड़ ने वह सब कुछ किया जो उनसे कहा गया था। जब दिन के खेल के अंतिम क्षणों में कोई विकेट गिरता था, तो द्रविड़ खुद बल्लेबाजी के लिए क्रीज पर पहुंच जाते थे।