छत्तीसगढ़

मजबूरी में खेलने की शुरुआत की थी, लेकिन अब दुनिया के मशहूर एथलीट्स में शामिल हैं नीरज चोपड़ा

नईदिल्ली : शुरू मजबूरी में किए थे, पर अब मजा आ रहा है… मशहूर वेब सीरीज़ मिर्जा का यह डायलॉग आपने कभी न कभी या कहीं न कहीं ज़रूर सुना होगा. सीरीज़ का यह डायलॉग भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा पर बिल्कुल फिट बैठता है. नीरज चोपड़ा की अगर कहानी देखी जाए तो पता चलता है कि उन्होंने मजबूरी में खेलने की शुरुआत की थी, लेकिन अब दुनिया के मशहूर एथलीट्स में शामिल होते हैं.

हरियाणा के पानीपथ जिले के खंडरा में जन्मे नीरज चोपड़ा बचपन में ऐसे नहीं थे, जैसे आज दिखते हैं. दरअसल बचपन में नीरज काफी मोटे थे. मोटापे की वजह से नीरज का बहुत मज़ाक उड़ाया जाता है. अपने मोटापे की वजह से नीरज दौड़ने-भागने के लिए तैयार हुए. 13 साल की उम्र में नीरज के चाचा सतीश कुमार चोपड़ा उन्हें दौड़ाने के लिए घर से करीब 15 किलोमीटर दूर शिवाजी स्टेडियम लेकर जाते थे. 

नीरज को भागने में तो ज़्यादा दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन उन्होंने स्टेडियम में भाला फेकते हुए खिलाड़ियों को देखा और उन्हें वह खेल पसंद आ गया. इस तरह नीरज ने मजबूरी में खेल की शुरुआत की और भाला फेंकने लगे. धीरे-धीरे उन्हें खेल से प्यार होता गया और आज वह दुनिया के मशहूर जैवलिन थ्रोअर बन चुके हैं.  

टोक्यो ओलंपिक में जीता था गोल्ड 

बता दें कि 2020 में हुए टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने इतिहास रचते हुए गोल्ड जीता था. उन्होंने 87.58 मीटर लंबा थ्रो कर स्वर्ण पदक पर कब्ज़ा जमाया था. नीरज भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड जीतने वाले इकलौते खिलाड़ी थे. नीरज ने इसके अलावा भी कई प्रतियोगिताओं में गोल्ड जीतने का कारनामा किया है. अब इस बार पोरिस में खेले जाने वाले ओलंपिक में नीरज चोपड़ा से फिर गोल्ड की उम्मीद की जाएगी. पेरिस ओलंपिक से पहले नीरज शानदार फॉर्म में दिख रहे हैं. हाल ही में हुई कुछ प्रतियोगिताओं में उन्होंने गोल्ड जीता था, जिससे ओलंपिक में उनके गोल्ड जीतने की उम्मीद और बढ़ जाती है.