वायनाड। केरल के वायनाड जिले में मंगलवार तड़के कई जगहों पर भारी बारिश के बाद हुईं भूस्खलन की घटनाओं में कम से कम 150 लोगों की मौत हो गयी है और 128 लोग घायल हो गए हैं. वहीं मंगलवार का बचाव ऑपरेशन बंद होने तक 800 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है. सैकड़ों लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका के कारण मृतकों की संख्या बढ़ सकती है. भूस्खलन की घटनाएं मंगलवार तड़के हुईं, जिससे अपने घरों में सो रहे लोगों को बचने का मौका भी नहीं मिल पाया. भूस्खलन के चलते कई मकान जमींदोज हो गए, नदियां उफान पर हैं और कई पेड़ उखड़ गए हैं.
सेना, नौसेना और NDRF के बचाव दल खराब मौसम के बीच पीड़ितों की तलाश कर रहे हैं और पीड़ित लोगों को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए कई एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं. हालांकि मंगलवार का रेस्क्यू ऑपरेशन रुक गया है और बुधवार की सुबह फिर से राहत बचाव कार्य चलाया जाएगा. इससे पहले, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बताया था कि वायनाड में भूस्खलन में घायल होने वाले लोगों का अलग-अलग अस्पतालों में इलाज किया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि भूस्खलन में मरने वाले व्यक्तियों के शवों की पहचान की जा रही है. मुख्यमंत्री ने बताया कि कई शव मृतकों के परिवारों को सौंप दिए गए हैं. मुख्यमंत्री का कहना है कि प्रदेश के पोथुकल में चलियार नदी से 16 शव मिले हैं, इसके अलावा शवों के टुकड़े भी बरामद किए गए हैं. उन्होंने कहा कि कई लोगों के फंसे होने या बह जाने की आशंका है और हम बचाव कार्य जारी रखेंगे.
राहुल गांधी भी जा सकते हैं वायनाड
विजयन ने बताया कि जिले में स्थापित 45 राहत शिविरों में 3,000 से अधिक लोगों को ट्रांसफर किया गया है. उन्होंने बताया कि पहला भूस्खलन तड़के दो बजे हुआ, उसके बाद दूसरा भूस्खलन सुबह चार बजकर दस मिनट पर हुआ. मुख्यमंत्री ने बताया कि मेप्पाडी, मुंदक्कई और चूरलमाला क्षेत्रों से संपर्क टूट गया है और चूरलमाला-मुंदक्कई सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है. लोकसभा में विपक्ष के नेता और वायनाड के पूर्व सांसद राहुल गांधी ने संसद में भी वायनाड की भूस्खलन की घटनाओं में कई लोगों की मौत का जिक्र किया. राहुल गांधी आने वाले दिनों में वायनाड दौरे पर जा सकते हैं.
एक वरिष्ठ सरकारी सूत्र के अनुसार, जिले के मेप्पडी के पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बारिश के बाद कई भूस्खलन हुए हैं, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है. सूत्रों ने बताया कि बचावकर्मियों को नदियों और कीचड़ से लोगों के अंग बरामद हो रहे हैं, इसलिए इस त्रासदी में मारे गए लोगों की सही संख्या का पता लगाना मुश्किल है. सूत्र ने बताया कि यह स्पष्ट नहीं है कि जो अंग मिल रहे हैं, वे एक ही व्यक्ति के हैं या कई व्यक्तियों के हैं. उन्होंने बताया कि मृतकों में कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं और उनकी पहचान और पोस्टमार्टम के लिए शवों को अलग-अलग अस्पतालों के मुर्दाघरों में ले जाया जा रहा है.
दो दिनों के राजकीय शोक की घोषणा
अधिकारियों ने बताया कि भूस्खलन प्रभावित इलाकों में मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टमाला और नूलपुझा गांव शामिल हैं. केरल सरकार ने भूस्खलन में लोगों की मौत के बाद प्रदेश में दो दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है. मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि राज्य सरकार इस घटना से बहुत दुखी हैं, जिसमें कई लोगों की जान चली गई है और संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है. मुख्य सचिव वी. वेनू द्वारा जारी एक आधिकारिक अधिसूचना में 30 और 31 जुलाई को राजकीय शोक घोषित किया गया है.
प्रोटोकॉल के अनुसार, इन दो दिनों में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और सभी सरकारी कार्यक्रमों को रद्द किया जाएगा. बचाव दल मलबे में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. भारतीय सेना भी बचाव अभियान में शामिल हो गई है. राज्य सरकार ने NDRF के अलावा पुलिस और दमकल कर्मियों को प्रभावित इलाकों में तैनात किया है.
भयानक है भुस्खलन के बाद का मंजर
लोग फोन पर मदद की गुहार लगा रहे हैं और बचावकर्मी मलबे से लोगों को निकालने की कोशिशों में जुटे हैं. टेलीविजन चैनलों ने कई लोगों की फोन पर बातचीत प्रसारित की जिसमें वे रो रहे थे और किसी से आकर उन्हें बचाने का अनुरोध कर रहे थे, क्योंकि वे या तो अपने घरों में फंस गए या पुलों के बह जाने और सड़कों के जलमग्न होने के कारण उनके पास वहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा है. भूस्खलन में घायल हुए कई लोगों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.
मेप्पडी जिले में एक छोटे और भीड़भाड़ वाले स्वास्थ्य केंद्र में फर्श पर पंक्ति में रखे गए शवों में रोते-बिलखते लोगों को अपने प्रियजनों को खोजते हुए देखा गया. कुछ लोग अपने प्रियजनों के शवों को देखकर फूट-फूटकर रोने लगे जबकि कुछ लोगों ने अपने रिश्तेदारों को मृतकों में न पाकर राहत की सांस ली.
भूस्खलन से प्रभावित एक गांव के भयावह दृश्यों में से एक में, कीचड़ से लथपथ एक व्यक्ति को अपनी जान बचाने के लिए बाढ़ के पानी के तेज बहाव में एक विशाल चट्टान से चिपककर खड़े होने की कड़ी मशक्कत करते हुए देखा गया. असहाय स्थानीय निवासियों ने प्राधिकारियों से उसे तुरंत बचाने का अनुरोध किया.
राहत और बचाव कार्य में भारतीय सेना भी जुटी
इस बीच, केरल सरकार ने बचाव अभियान में रक्षा बलों की मदद मांगी है. 122 इन्फैंट्री बटालियन (TA) मद्रास की सेकेंड-इन-कमांड के नेतृत्व में 43 कर्मियों की एक टीम को बचाव प्रयासों में सहायता के लिए तैनात किया गया है. रक्षा सुरक्षा कोर (DAC) केंद्र, कन्नूर और कोझिकोड से प्रादेशिक सेना के 200 सैनिकों की अतिरिक्त टुकड़ियों, चिकित्सा दलों और उपकरणों को बचाव प्रयासों में लगाया गया है. फंसे हुए लोगों को तेजी से निकालने के लिए सुलूर के वायु सेना स्टेशन से भारतीय वायु सेना के दो हेलीकॉप्टर को प्रभावित इलाके में भेजा गया है. केरल सरकार के अनुरोध पर एझीमाला नौसैन्य अकादमी से नौसेना का एक दल भी बचाव प्रयासों में मदद करेगा.
खुद मुख्यमंत्री रख रहे हैं ऑपरेशन पर पूरी नजर
वायनाड में भूस्खलन से प्रभावित लोगों को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए बहु-आयामी बचाव अभियान चलाया जा रहा है. केरल के मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में बताया कि पिनराई विजयन के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) कार्तिकेयन को बचाव अभियानों के साथ समन्वय करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसमें कहा गया है कि इस संबंध में स्थानीय स्वशासन विभाग के प्रधान निदेशक वी. संबाशिव राव को विशेष अधिकारी नियुक्त किया गया है. वह वायनाड से काम करेंगे.