छत्तीसगढ़

दर्दनाक हादसे से महज 19 दिन पहले हुआ था ये काम, बेसमेंट में लाइब्रेरी को लेकर बोला गया था झूठ

नईदिल्ली : राजधानी दिल्ली के राजेंद्र नगर कोचिंग सेंटर हादसे के मामले में नए-नए खुलासे हो रहे हैं। अब एक और नया खुलासा हुआ है। मामले में दिल्ली अग्निशमन सेवा की भी बड़ी लापरवाही सामने आई है। हादसे से महज 19 दिन पहले 9 जुलाई को राव आईएएस स्टडी सर्किल को फायर एनओसी दी गई थी। इससे पहले इमारत का अग्निशमन सेवा की टीम ने निरीक्षण किया था।

नियमत: सभी नियम पूरे होने पर ही एनओसी देनी थी, लेकिन राव आईएएस स्टडी सर्किल जिस इमारत में है, उसके बेसमेंट में पुस्तकालय चल रहा था। ऐसे में बड़ा सवाल है यह है कि अग्निशमन सेवा की टीम ने निरीक्षण किस तरह से किया कि वहां पर पुस्तकालय की जगह स्टोर ही पाया गया।

जब तीन छात्रों की जान चली गई तब अग्निशमन सेवा को पता चला कि वहां पुस्तकालय चल रहा था। इसके बाद एनओसी रद्द की गई। दरअसल, राव आईएएस स्टडी सर्किल जिस इमारत में चल रहा था, उसको जून 2024 तक फायर एनओसी नहीं मिली थी। विभाग ने नौ जुलाई को फायर की एनओसी दी। सूत्र बताते हैं कि 13 मई 2019 को इमारत का नक्शा पास किया गया और अगस्त 2021 को निगम से नक्शे के मुताबिक इमारत का निर्माण कार्य संपन्न होने का प्रमाण पत्र मिला।

नियम के अनुसार निर्माण संपन्न होने और उसका व्यावसायिक इस्तेमाल शुरू करने से पहले फायर एनओसी लेनी होती है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। बीते वर्ष मुखर्जी नगर में कोचिंग सेंटर में आग लगने की घटना के बाद फायर एनओसी नहीं होने का नोटिस दिया गया। उसके बाद फायर एनओसी लेने की प्रक्रिया शुरू की गई। बताया जा रहा है कि 7 लाख रुपये से अधिक का कन्वर्जन चार्ज जमा कर इमारत का व्यावसायिक इस्तेमाल का नक्शा पास करवाया गया और इस माह नौ जुलाई को अग्निशमन विभाग की तरफ से फायर एनओसी दी गई।

यह है फायर एनओसी की प्रक्रिया
फायर एनओसी देने से पहले इमारत का जो निरीक्षण होता है, उसमें बीस से ज्यादा चीजों को देखना होता है। इसमें से प्रमुख हैं-
. जिस तरह से नक्शा पास किया गया था उस तरह से इमारत का निर्माण हुआ है या नहीं?
. आपातकालीन दरवाजे हैं या नहीं, सीढ़ियों की चौड़ाई मानक के अनुरूप हैं या नहीं?
. आपात स्थिति में आपातकालीन दरवाजों के रास्ते कोई बाधा तो नहीं है?

हादसे के बाद सामने आई हकीकत
राव आईएएस स्टडी सर्किल जिस इमारत में है, उसके बेसमेंट में कई साल से पुस्तकालय चल रहा है। छात्रों के साथ आसपास के लोग भी इसकी तस्दीक करते हैं जबकि एनओसी बेसमेंट में स्टोर के लिए दी गई थी। इससे स्पष्ट है कि जांच में फायर विभाग ने लापरवाही बरती। दिलचस्प यह कि अधिकारी सिर्फ इतना बता रहे हैं कि निरीक्षण के दौरान बेसमेंट में स्टोर बताया गया था। साथ में वहां पर आग से बचाव के सारे उपाय मानक के अनुसार ठीक पाए गए। इसके बाद एनओसी दी गई थी।

तीन साल से बिना एनओसी कोचिंग का हो रहा था संचालन
एमसीडी ने ओल्ड राजेंद्र नगर के राव आईएएस स्टडी सर्किल के बेसमेंट में डूबने सेे तीन बच्चों की मौत होने के मामले में स्वयं को क्लीन चिट दी है। एमसीडी ने इस घटना के बाबत एक रिपोर्ट तैयार की है। इसमें दावा किया गया है कि राव आईएएस स्टडी सर्किल की बिल्डिंग में तीन साल से अग्निशमन विभाग से एनओसी लिए बिना बच्चों को कोचिंग दी जा रही थी। एमसीडी ने यह रिपोर्ट मंडलायुक्त को भेज दी है। 

सूत्रों के अनुसार, एमसीडी ने रिपोर्ट में बताया कि राव आईएएस स्टडी सर्किल बिल्डिंग जुलाई 2021 में बनकर तैयार हो गई थी और अगस्त 2021 में बिल्डिंग के संचालन के लिए उससे कंप्लीशन सर्टिफिकेट मांगा गया था। उसने इसी माह बिल्डिंग का कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी कर दिया था। जबकि राव आईएएस स्टडी सर्किल की बिल्डिंग को 20 दिन पहले अग्निशमन विभाग से एनओसी मिली है। लिहाजा उसका संचालन विभाग की एनओसी के बिना हो रहा था।