छत्तीसगढ़

भारत में भी जल्द उपलब्ध होगी डेंगू की वैक्सीन, जानिए कितने प्रभावी हैं अन्य देशों में दिए जा रहे टीके

नईदिल्ली : बरसात के दिनों में कई तरह की मच्छर जनित बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया जैसे रोगों के कारण हर साल बड़ी संख्या में लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है, गंभीर स्थितियों में ये बीमारियां जानलेवा भी हो सकती हैं। हालांकि अब डेंगू से ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है। संभवत: साल 2025 तक देश में डेंगू से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि बीते सप्ताह डेंगू संक्रमण को लेकर हुई उच्चस्तरीय बैठक में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने जानकारी दी है कि डेंगू के टीके का परीक्षण अंतिम चरण में है। अगले साल तक यह आम लोगों के लिए उपलब्ध हो सकता है।

गौरतलब है कि देश के कई राज्य इन दिनों डेंगू की चपेट में हैं। महाराष्ट्र में इसका जोखिम अधिक देखा जा रहा है। इस साल जुलाई तक ही यहां डेंगू के मामले रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। पिछले साल की तुलना में इस बार साल के पहले सात महीनों में राज्य में डेंगू के केस में 83 फीसदी तक का उछाल दर्ज किया गया है।

जनवरी और जुलाई 2023 के बीच जहां महाराष्ट्र में  3,164 मामले रिपोर्ट किए गए थे वहीं  इस साल के पहले सात महीनों में 5,776 केस दर्ज किए गए हैं, जो करीब दोगुना के बराबर हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने मच्छर जनित रोग के खतरे को लेकर सभी लोगों को सावधान रहने की सलाह दी है।

भारत में चल रहा है टीकों का परीक्षण

डेंगू हर साल स्वास्थ्य क्षेत्र पर बड़ा दबाव डालती है। हालांकि विशेषज्ञों को उम्मीद है कि टीके उपलब्ध होने के बाद इसका खतरा काफी हद तक कम किया जा सकेगा।

जानकारियों के मुताबिक देश की चार फार्मा कंपनियां टीके के क्लीनिकल परीक्षण में जुटी हैं। हाल ही में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन को दस्तावेज सौंपते हुए बताया कि पहला परीक्षण 60 लोगों पर हुआ है, जिसमें छह महीने तक लोगों में एंटीबॉडी का स्तर पर्याप्त मात्रा में देखने को मिला है। इस परिणाम के बाद अगले चरण के ट्रायल की अनुमति मिली है।

यूरोपीय देशों में पहले से दिए जा रहे हैं टीके

यहां जानना जरूरी कि पहले से ही यूरोप के कई देशों में डेंगू के टीके दिए जा रहे हैं। इटली और कई यूरोपीय देशों में डेंगू से बचाव के लिए स्वीकृत एकमात्र टीका क्यूडेंगा (TAK-003) है जिसकी प्रभाविकता 50% से अधिक बताई जाती है। डेंगू वैक्सीन के पहले वैश्विक मेटा-विश्लेषण से पुष्टि होती है कि ये टीके प्रभावी और सुरक्षित हैं। इटली के बोलोग्ना विश्वविद्यालय और फेरारा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इसकी पुष्टि की है।

क्या कहते हैं शोधकर्ता?

बोलोग्ना विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और निदेशक लैम्बर्टो मंजोली कहते हैं, यह पहला व्यापक वैश्विक विश्लेषण है और हम डेटा से बहुत खुश हैं। वर्तमान में, इस बीमारी के खिलाफ कोई प्रभावी उपचार नहीं है और हर साल इस रोग के कारण दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो जाती है। दिसंबर 2022 में यूरोप में स्वीकृत, वैक्सीन TAK-003 ने बहुत ही आशाजनक परिणाम दिखाए हैं। 

कुल मिलाकर, विभिन्न परीक्षणों में शामिल 20,000 से अधिक लोगों पर किए गए अध्ययन से पता चलता है कि ये टीके संक्रमण के जोखिम को 50% तक कम कर सकते हैं।

लंबे समय तक बनी रहती है एंटीबॉडी

रिपोर्ट से पता चलता है कि जिन लोगों को वैक्सीन की दो खुराकें दी गईं, उनमें से 90% से अधिक लोगों में डेंगू के विरुद्ध बेहतर एंटीबॉडी विकसित हुई। वहीं जिन लोगों को केवल एक खुराक दी गई, उनमें भी प्रतिक्रिया बहुत सकारात्मक रही। 70% से अधिक वयस्कों तथा 90% से अधिक बच्चों-किशोरों में टीके के बाद एंटीबॉडी विकसित हुई। डेंगू के खिलाफ लड़ाई में टीकाकरण को बेहतर हथियार माना जा रहा है।